मासखमण तप अभिनंदन के कार्यक्रम
साहुकारपेट, चेन्नई
साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा भवन में तपस्विनी बहन विमला देवी मांडोत, धर्मपत्नी रतनलाल मांडोत ने अत्यंत उल्लास के साथ मासखमण तप का प्रत्याख्यान किया। बहन का यह चौदहवाँ मासखमण है। मासखमण तप-अनुमोदना सभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि भगवान महावीर ने ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप के समन्वय को मोक्षमार्ग कहा है। चातुर्मासकाल में साधु-साध्वियों का प्रवास एक स्थान में होने से मोक्षमार्ग के इन चारों घटकों की विशेष साधना एवं प्रेरणा दी जा सकती है। श्राविका विमलादेवी ने अपने जीवन को तपमय बना लिया है। दृढ़ संकल्पी ही ऐसा काम कर सकता है। मैं विमला को साधुवाद देना चाहँगी, जिन्होंने हमारी प्रेरणा को बहुमान देकर मासखमण कर लिया। आप निरंतर तप के मार्ग पर आगे बढ़ते रहें, यह मंगलकामना है।
तेरापंथ सभाध्यक्ष उगमराज सांड ने तपस्विनी बहन को शुभकामना दी। उपाध्यक्ष विजय सेठिया ने साध्वीप्रमुखाश्री जी के संदेश का वाचन किया। सहमंत्री देवीलाल हिरण ने प्रशस्तिपत्र का वाचन किया। मांडोत परिवार की बहनों ने गीत एवं पोकरना परिवार के बच्चों ने नाटिका प्रस्तुत की। पौत्र रिषित एवं पौत्री प्रांजल ने अपनी दादी माँ के तप की अनुमोदना की। तेयुप अध्यक्ष विकास कोठारी, महिला मंडल अध्यक्ष पुष्पा हिरण, सह महिला मंडल की बहनों ने नव्य शैली में मासखमण साधिका का परिचय प्रस्तुत किया। साध्वीवृंद ने तप-अनुमोदना गीतिका प्रस्तुत की। बहन की ननद श्राविका नवरत्न देवी देरासरिया के भाभी की तपस्या के उपलक्ष्य में बत्तीस की तपस्या करने का मानसिक संकल्प प्रस्तुत किया। रतनलाल मांडोत ने कहा कि साध्सवीश्री जी की प्रेरणा से ही आज का मेरी पत्नी का मासखमण हो सका है। कार्यक्रम का संचालन साध्वी राजुलप्रभा जी ने किया।