प्रतिक्रमण कार्यशाला का आयोजन

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प्रतिक्रमण कार्यशाला का आयोजन

हुबली।
मुनि हिमांशु कुमार जी, मुनि हेमंत कुमार जी के सान्निध्य में अभातेममं के निर्देशानुसार महिला मंडल द्वारा प्रतिक्रमण कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुनि हिमांशु कुमार जी ने मंगलाचरण का प्रारंभ नमस्कार महामंत्र से किया। मुनि हिमांशु कुमार जी ने कहा कि तीन प्रकार के व्यक्ति होते हैं-पहला कभी भूल नहीं करता, दूसरा भूल तो करता है पर तत्काल समझ जाता है, तीसरा गलती पर गलती तो करता है पर समझता नहीं, बदलाव नही करते। उन्होंने परिष्कार का अर्थ समझाते हुए कहा कि आत्म चिंतन के दर्पण में मन को स्थिर करना चाहिए, कैसे हम अपने जीवन में परिष्कार कर सकते हैं, वाणी की शुद्धि, व्यवहार की शुद्धि और विचार की शुद्धि के आधार पर अपने जीवन में परिवर्तन कर सकते हैं, जो भविष्य को उज्ज्वल बनाना चाहता है वह प्रतिक्रमण के माध्यम से बदलाव ला सकता है।
मुनि हेमंत कुमार जी ने परिष्कार शब्द का अर्थ बड़ी गहराई से समझाया। स्वयं अपने दोषों को खोजो, उन्हें परिष्कार द्वारा दूर करने का प्रयत्न करो। भाव प्रतिक्रमण भी बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। सोने से पहले भाव प्रतिक्रमण का लक्ष्य अवश्य रखें, प्रतिक्रमण के माध्यम से भ्रमण सीमित कर सकते हैं, कार्यशाला में महिला मंडल के सदस्यों की अच्छी उपस्थिति रही। दूसरे संप्रदाय की महिलाओं ने भी भाग लिया। ज्ञानशाला ज्ञानार्थी सभा के पदाधिकारी, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अमोलक चंद बागरेचा और अखिल भारतीय तेरापंथ सभा के सदस्य रमेश चोपड़ा, तेयुप के सदस्यों एवं कन्या मंडल और किशोर मंडल की उपस्थिति रही।