श्री भक्तामर स्तोत्र कार्यशाला का आयोजन
कानपुर।
श्री भक्तामर स्तोत्र कार्यशाला का आयोजन साध्वी डॉ0 पीयूषप्रभाजी के सान्निध्य में हुआ। कार्यशाला का शुभारंभ साध्वीश्री जी के महामंत्रोच्चार से हुआ। साध्वीश्री जी ने कहा कि भक्तामर स्तोत्र जैन धर्म का महान प्रभावशाली स्तोत्र है। इस स्तोत्र की रचना आचार्य मानतुंग ने की थी। यह स्तोत्र जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव भगवान को समर्पित है। साध्वीश्री जी ने कहा कि क्रुद्ध नरपति द्वारा आचार्य मानतुंग को बलपूर्वक पकड़कर 48 तालों के अंदर बंद करवा दिया गया था। उस समय धर्म की रक्षा और प्रभावना हेतु आचार्यश्री ने भगवान आदिनाथ की इस भक्ति स्तुति की रचना थी। साध्वीश्री जी ने संपूर्ण भक्तामर स्तोत्र का सभा के समक्ष उच्चारण किया तथा उसकी अर्थ सहित व्याख्या की। साध्वीश्री जी ने यह भी कहा कि हम सबको भक्तामर स्तोत्र को याद करने का संकल्प करना चाहिए।