संयम ‘एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध’ कार्यशाला
अमराईवाड़ी।
अभातेममं के निर्देशन में तेममं द्वारा रूपांतरण कार्यशाला का आयोजन शासनश्री साध्वी सरस्वती जी के सान्निध्य में किया गया। जिसका विषय था-संयम - एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध। कार्यशाला की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से साध्वीश्री जी ने करवाई। अध्यक्ष संगीता सिंघवी ने कार्यशाला में उपस्थित सभी का स्वागत किया। शासनश्री साध्वी सरस्वती जी ने पाँचों इंद्रियों पर संयम करने की प्रेरणा दी। साध्वी संवेगप्रभाजी ने कहा कि शास्त्रों में चार चीजें दुर्लभ बताई गई हैं-मनुष्य जीवन, श्रद्धा, धर्म श्रवण और संयम में पराक्रम। संयम में पराक्रम करना बहुत दुर्लभ है। अलग-अलग अनेक उदाहरण द्वारा संयम की महत्ता बताई। साध्वी तरुणप्रभाजी ने मन, वचन और काया इन तीन योगों पर संयम करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम में स्थानकवासी समाज के श्रावक-श्राविकाओं सहित सभा, तयेुप, महिला मंडल सभी की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन रेखा चिप्पड़ ने किया तथा आभार ज्ञापन मंत्री लक्ष्मी सिसोदिया ने किया।