सर्वसिद्धिदायक मंत्र है भक्तामर

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सर्वसिद्धिदायक मंत्र है भक्तामर

गंगाशहर, बीकानेर।
जैन धर्म में भक्तामर स्तोत्र का बहुत महत्त्व है। प्राचीन काल में आचार्यश्री मानतुंग ने इसकी चमत्कारिक रचना की थी। लाखों जैन एवं जैनेतर धर्मावलंबी प्रतिदिन इसका पाठ करते हैं। ऐसे प्राचीन एवं चमत्कारिक भक्तामर स्तोत्र का तेरापंथ भवन में सामुहिक पाठ हुआ। जिसमें 139 जोड़ों ने स्वास्तिक के विशेष आकार में बैठकर उच्चारण द्वारा इसका अनुष्ठान किया। मुनि शांति कुमार जी, मुनि जितेंद्र कुमार जी के सान्निध्य में आयोजित इस भव्य अनुष्ठान में भीलवाड़ा से समागत संजय भानावत एवं वनिता भानावत ने लयबद्ध भक्तामर का पाठ करवाया। तेरापंथी सभा, तेयुप, तेममं द्वारा आयोजित इस अनुष्ठान की व्यवस्थाओं में युवकों, महिलाओं सहित किशोर मंडल एवं कन्या मंडल के सदस्यों ने सक्रियता से दायित्व निर्वहन किया।