नमोत्थुणं के पाठ से होता है रोग-शोक का नाश

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नमोत्थुणं के पाठ से होता है रोग-शोक का नाश

माधावरम्, चेन्नई।
मुनि सुधाकर जी ने कहा कि नमोत्थुणं का पाठ शाश्वत है। स्वर्ग लोक के चौसठ इंद्र व असंख्य देवी-देवताओं का परिचित पाठ है। नमोत्थुणं के पाठ से साधक के पाप कर्म का भी पुण्य कर्म में संक्रमण हो जाता है। मुनिश्री ने कहा कि नमोत्थुणं को प्रणिपात व शुक्रत्व के नाम से भी जाना जाता है। मुनि नरेश कुमार जी ने कहा कि जीवन नश्वन है, एक श्वास का भी भरोसा नहीं है। पानी के बुलबुले के समान जीवन है। वह व्यक्ति धन्य होता है, जो अपने जीवन को समय रहते हुए धर्ममय बना लेता है।