नन्हे ज्ञानार्थी का तप अभिनंदन
राजलदेसर।
साध्वी मंगलप्रभा जी के सान्निध्य में 7 वर्षीय नन्हे ज्ञानार्थी ऋषभ देव द्वारा नौ दिवसीय तप करने पर तप अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर साध्वी मंगलप्रभा जी ने कहा कि जैन दर्शन में मोक्ष प्राप्ति के चार द्वार बताए गए हैं। सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन, सम्यक् चारित्र और सम्यक् तप। परमपूज्य आचार्यप्रवर की परम कृपा से 7 वर्ष की लघुवय में बालक ऋषभ ने 9 दिनों की तपस्या कर अद्भुत साहस का परिचय दिया है। कार्यक्रम का मंगलाचरण मंजूदेवी बाफना ने किया। इस अवसर पर साध्वी मंगलप्रभा जी, साध्वी सुमनकुमारी जी, साध्वी समप्रभाजी एवं साध्वी प्रणवप्रभाजी ने सामुहिक गीतिका का संगान कर नन्हे तपस्वी के तपोबल, मनोबल को बढ़ाया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी समप्रभा जी ने किया। तप अनुमोदना के अवसर पर समाज के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। इसी क्रम में पौने सात साल का नन्हा बालक जयंत विनायकिया आठ की तपस्या तथा किशोर मंडल का किशोर चंद्रेश कुंडलिया ने नौ की तपस्या लेकर तेरापंथ भवन में साध्वीश्री जी के समक्ष उपस्थित हुए। साध्वी मंगलप्रभा जी ने कहा कि सहस्त्रों घनघोर घटाएँ चातक की प्यास को नहीं बुझा सकती पर तप की एक छोटी सी बद्री उस प्यास को शांत कर सकती है। इस अवसर पर साध्वीवृंद ने सामुहिक गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी समप्रभा जी ने किया।