भक्तामर अनुष्ठान का आयोजन
भीलवाड़ा
साध्वी डॉ0 परमयशा जी के सान्निध्य में टीपीएफ के तत्त्वावधान में 131 जोड़ों द्वारा भक्तामर कल्पवृक्ष अनुष्ठान ऋद्धि एवं मंत्र के साथ समायोजित हुआ। साध्वी डॉ0 परमयशा जी ने कहा कि जैन परंपरा में भक्तामर एक प्रभावशाली यंत्र-मंत्र, जाप का खजाना है, इस स्तोत्र से विघ्न-बाधाओं का निवारण होता है। जीवन में पुण्यों का जागरण होता है। अशुभ कर्म दूर होते हैं और शुभ कर्मों का अभ्युदय होता है। भक्तामर एक महाप्रभावक स्त्रोत है जो जिनशासन की शान है। भक्तामर एक कल्पवृक्ष, एक चिंतामणि, एक कामधेनू है जो सफलता, शांति, समाधि, समृद्धि का साम्राज्य देता है। भक्तामर हमें शांति, शक्ति, परियोजन और व्यक्तित्व देता है। कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से हुई। टीपीएफ गीत का संगान पूर्व अध्यक्ष निर्मल सुतरिया ने किया। कार्यक्रम में राकेश सुतरिया टीपीएफ अध्यक्ष ने सभी का स्वागत किया। सुप्रसिद्ध संगायक संजय भानावत एवं वनिता भानावत ने भक्तामर के श्लोकों को अपनी सुमधुर स्वर लहरियों के साथ संगान किया।
कार्यक्रम में साध्वी डॉ0 परमयशा जी, साध्वी विनम्रयशा जी, साध्वी मुक्तप्रभा जी और साध्वी कुमुदप्रभा जी ने गीत का संगान किया। इस अवसर पर टीपीएफ, एनइसी मेंबर विनोद पितलिया, पूर्व अध्यक्ष निर्मल सुतरिया, लक्ष्मी लाल गांधी, सेंट्रल जोन एडवाइजर रोशनलाल पितलिया सहित सभा-संस्थाओं के अनेक पदाधिकारीगण, सदस्य एवं गणमान्यजन उपस्थित थे। ब्रांच अध्यक्ष ने सेमिनार की सफलता में सहयोगी टीम के सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया।