ज्ञानशाला के विविध आयोजन

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ज्ञानशाला के विविध आयोजन

अमरनगर
तेरापंथ भवन अमरनगर में ज्ञानशाला के वार्षिकोत्सव का आयोजन किया गया। शासनश्री साध्वी सत्यवती जी के सान्निध्य में आयोजित हुए इस कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा गीत के संगान से हुआ। मंगलाचरण ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा गीत के संगान से हुआ। स्वागत उद्बोधन सरदारपुरा ज्ञानशाला के संयोजक बी0आर0 जैन द्वारा दिया गया। तत्पश्चात् सरदारपुरा ज्ञानशाला के ज्ञानर्थियों द्वारा प्रशिक्षिका श्रीमती समता सालेचा व श्रीमती ट्विंकल के निर्देशन में ‘‘अध्यात्म की एबीसीडी’’ पर सुंदर प्रस्तुति दी गयी। ज्ञानशाला विद्यार्थियों द्वारा वंदना, सामायिक, प्रतिलेखना आदि किस प्रकार होती है, उसका विधि सहित दृश्य रूपांकन किया गया।
ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं द्वारा ‘‘धर्म की शरण’’ विषय पर नाटिका की प्रस्तुति दी गयी। तत्पश्चात् एबीसीडी पर आध्यात्मिक कविता की प्रस्तुति दी गयी। बच्चों द्वारा तेरापंथ के 11 आचार्यों के रूपों का दृश्यांकन किया गया। प्रेक्षा पारख के निर्देशन में ‘‘अधूरे बचपन को संवारे ज्ञानशाला’’ गीत पर नृत्य की प्रस्तुति दी गयी। मुख्य प्रशिक्षिका श्रीमती अर्चना बुरड़ के निर्देशन में ‘‘ज्ञानशाला संस्कारों की शाला’’ विषय पर प्रस्तुति दी गयी, जिसके माध्यम से चार कषायों से होने वाले नुकसान, अठारह पाप, कर्म बंधन आदि विषयों को सुंदर रूप से प्रस्तुत किया गया।
ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों व अभिभावकों को प्रेरणा प्रदान करते हुए शासनश्री साध्वीश्री ने कहा कि यह सभी अभिभावकों का कर्तव्य है कि बाल पीढ़ी ज्ञानशाला से अवश्य जुड़ें। ज्ञानशाला संस्कार निर्माण की शाला है जो बच्चों में संस्कारों के बीजारोपण में सहयोगी है। ज्ञानशाला गुरुदेव तुलसी का बोया बीज है, जो फलवान हो संस्कार निर्माण में सतत् योगभूत बन रहा है। साध्वीश्री ने स्वरचित कविता प्रस्तुत की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तेरापंथी महासभा के पंचमंडल सदस्य दिलीप सिंघवी ने बाल पीढ़ी को संबोधित करते हुए अपने विचार प्रस्तुत किये। तेरापंथी सभा, तेयुप, तेममं द्वारा साहित्य व पचरंगा से दिलीप सिंघवी का सम्मान किया गया।
वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के प्रायोजक परिवार श्रीमती कमलादेवी व मुकनचंद गाँधी मेहता की स्मृति में मुनेश कुमार, दिनेश कुमार, विशाल कुमार, सुकुन कुमार गांधी, मेहता परिवार का सम्मान जैन पंचरंगी व साहित्य द्वारा किया गया। सभा मंत्री महावीर चोपड़ा द्वारा ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं व ज्ञानर्थियों को पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया।