आत्म-आराधना और जितेंद्रिय साधना का पर्व है

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आत्म-आराधना और जितेंद्रिय साधना का पर्व है

चेन्नई।
साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा के सान्निध्य में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व धूमधाम से मनाया गया। खाद्य संयम दिवस: साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि जैन और सनातन दोनों परंपरा में भाद्रव का विशेष महत्त्व है। पर्युषण महापर्व के प्रति संपूर्ण जैन समाज में परंपरागत श्रद्धाभाव है। आत्माभिमुखी बनने का संकल्प लेकर साधर्मिकों को धर्म ध्यान में सहभागी बनना चाहिए। यह पर्व आत्म निरीक्षण और आत्म परीक्षण का पर्व है। साध्वी सिद्धियशा जी ने भगवान महावीर और पर्युषण संवाद प्रस्तुत किया। साध्वी डॉ0 चैतन्यप्रभा जी ने अध्यात्म और विज्ञान की दृष्टि से खाद्य संयम दिवस पर विवेचन किया। साध्वीवृंद ने गीत का सामुहिक संगान किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष उगमराज सांड ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किए। संचालन साध्वी राजुलप्रभा जी ने किया।
स्वाध्याय दिवस: साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि स्वाध्याय आत्महित की प्रेरणा देता है। आगम साहित्य में ध्यान के साथ स्वाध्याय करने की प्रेरणा दी गई है। परिवार, समाज और व्यक्तिगत जीवन में सौहार्द, सम्मान, प्रेम की भावना होनी चाहिए, साध्वीश्री जी ने संपूर्ण परिषद को जैन दर्शन, तत्त्व दर्शन, आगम दर्शन, तेरापंथ दर्शन भार्दिक स्वाध्याय की प्रेरणा दी। साध्वी डॉ0 शौर्यप्रभा जी ने कहा कि अच्छे विचारों का चिंतन करना भी स्वाध्याय है। साध्वी रिद्धियशा जी और साध्वी डॉ0 राजुलप्रभा जी ने आत्मा और कषाय का संवाद प्रस्तुत किया। साध्वी चैतन्यप्रभा जी ने संचालन किया। सामायिक दिवस: साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि समता का स्वीकरण और ममता का त्याग सामायिक है। जीवन में आने वाले द्वंद्वों में सम रहना ही सामायिक है। सामायिक साधक, सामायिक साधना से छह काय के जीवों को अभयदान देता है।
कार्यक्रम की शुरुआत युवक परिषद के संगान से हुई। साध्वीवृंद ने ‘कर्मों की कहानी, हमारी जुबानी’ कार्यक्रम की प्रेरक प्रस्तुति दी तथा सामुहिक गीत का गान किया। तेयुप अध्यक्ष विकास कोठारी ने विचार व्यक्त किए। संचालन साध्वी डॉ0 शौर्यप्रभा जी ने किया। वाणी संयम दिवस: वाणी संयम दिवस पर साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि जीवन की यात्रा में अनेक महत्त्वपूर्ण घटक तत्त्वों में वाणी मुख्य है। बिना भाषा के व्यवहार नहीं चलता। ज्ञानी वह जो बोलने से पहले सोचता है, बोलने के बाद सोचने वाला अज्ञानी कहलाता है। तेरापंथ किशोर मंडल ने मंगलाचरण किया। साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया। साध्वीवृंद ने अपने उद्गार व्यक्त किए। साध्वी डॉ0 शौर्यप्रभा जी ने संचालन किया।
अणुव्रत चेतना दिवस: कार्यक्रम की शुरुआत कन्या मंडल द्वारा की गई। साध्वीवृंद ने अणुव्रत अनुशास्ता गुरुदेव तुलसी द्वारा रचित गीत का संगान किया। व्रत चेतना का विकास होना चाहिए। जैन साधना पद्धति का मुख्य आधार व्रत है। गुरुदेवश्री तुलसी द्वारा प्रदत्त अणुव्रत आंदोलन ने तेरापंथ को ख्याति प्रदान की है। साध्वी डॉ0 राजुलप्रभा जी ने कहा कि गुरुदेव तुलसी द्वारा प्रदत्त अणुव्रत सूर्य जन-जन के मार्ग को रोशन कर रहा है। जरूरत है हर व्यक्ति अणुव्रत को समझे और स्वीकार कर जीवन को सार्थक दिशा दे। संचालन डॉ0 चैतन्यप्रभा जी ने किया। जप दिवस: पर्युषण पर्व के दौरान साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने भगवान महावीर जीवन दर्शन पर विस्तृत विवेचन किया। साध्वीश्री जी की प्रेरणा से चेन्नई के घरों में प्रतिदिन चातुर्मास काल तक 13 घंटे जप-आराधना की व्यवस्था की गई है।
ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने तुलसी स्तुति की। साध्वी डॉ0 चैतन्यप्रभा जी ने कहा कि एकाग्रता और शुद्ध उच्चारण के साथ जप करना चाहिए। जप द्वारा आत्मा को उज्ज्वल और शक्ति-संपन्न बनाया जा सकता है। साध्वीवृंद ने परमेष्ठी-संगान किया। साध्वी राजुलप्रभा जी ने मंच संचालन किया। ध्यान दिवस: साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी द्वारा भगवान महावीर के 27 भवों की श्रवण प्रिय, प्रेरणादायी भव्य प्रस्तुति से श्रावक समाज मंत्रमुग्ध बना रहा। जैन परंपरा में ध्यान का प्रमुख स्थान रहा है। ध्यान की प्रायः विलुप्त व ध्यान पद्धति को आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने पुनर्जीवित किया। टीपीएफ द्वारा महाश्रमण अभिवंदना की गई। साध्वीवृंद ने कार्यक्रम प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी शौर्यप्रभा जी ने किया।
संवत्सरी महापर्व: साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि संवत्सरी जैन परंपरा का सिरमोर पर्व है। आत्मचिंतन, आत्ममंथन, आत्मदर्शन वाला यह अलौकिक महापर्व है।महिला मंडल ने मधुर संगान किया। साध्वी राजुलप्रज्ञा जी ने चुनिंदा प्रभावक आचार्यों के जीवन पर प्रकाश डाला। साध्वी चैतन्यप्रभा जी ने गणधर परंपरा एवं निस्तव परंपरा की यात्रा करवाई। साध्वी सिद्धियशा जी ने तेरापंथ आचार्यों के एवं साध्वी शौर्यप्रभा जी ने तेरापंथ की साध्वीप्रमुखा के जीवन की झाँकी प्रस्तुत की। जय तुलसी मंडल, महिला मंडल एवं राकेश मांडोत ने गीत प्रस्तुत किए। साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया।
क्षमायाचना दिवस: साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने क्षमायाचना समारोह में कहा कि आज निर्भार होने का दिन है। अतीत की पीड़ित करने वाली यादों को मस्तिष्क से उतारने का दिन है। आवश्यकता है हर व्यक्ति सरलता से एक-दूसरे को क्षमा करे। प्रायोगिक बने। आत्मा को उज्ज्वल और पवित्र बनाएँ। संपूर्ण चातुर्मास कालीन भव तक आराधना गुरुभक्ति से सानंद संपन्न हुई। साध्वीवृंद ने मैत्री गीत का संगान किया। साध्वी राजुलप्रभा जी ने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ सभा अध्यक्ष उगमराज सांड, तेरापंथ ट्रस्ट अध्यक्ष विमल कुमार चिप्पड़, महिला मंडल अध्यक्ष पुष्पा हिरण, तेयुप अध्यक्ष विकास कोठारी, जैन तेरापंथ विद्यालय के चेयरमैन छगनलाल धोका, अणुव्रत समिति की ओर से गौतम सेठिया, पर्युषण पर्व संयोजक राजेंद्र माघलिया, टीपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने विचार व्यक्त करते हुए क्षमायाचना की। कार्यक्रम सानंद संपन्न हुआ।