प्रकाश, पवित्रता और परिष्कार का महापर्व है पर्युषण
श्यामनगर, जयपुर।
बहुश्रुत परिषद की सदस्या शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी ‘लाडनूं’ के सान्निध्य में जयपुर, भिक्षु साधना केंद्र, श्यामनगर में पर्युषण महापर्व आध्यात्मिक साधना-आराधना द्वारा मनाया गया। तेरापंथी सभा, जयपुर के तत्त्वावधान में आयोजित इस महापर्व में निरंतर नमस्कार महामंत्र के अखंड जप की अखंड ज्योति प्रज्वलित रही। खाद्य संयम दिवस: खाद्य संयम दिवस के अवसर पर साध्वी कनकश्री जी ने कहा कि आहार का आरोग्य और अध्यात्म से गहरा संबंध है। शब्द और संवाद दोनों जीभ पर निर्भर है। जीभ वश में तो स्वास्थ्य संतुलित और आपसी संबंध सुमधुर रह सकते हैं। सात्त्विक वृत्तियों का आधार भी सात्त्विक भोजन है। साध्वीश्री जी ने कहा कि पर्युषण ग्रंथि मोचन, आत्म-निरीक्षण और शोधन का पर्व है। इस आध्यात्मिक उत्सव का संदेश हैµआत्मा को देखो, आत्मा की सुनो, आत्मा प्रतिष्ठित बने। साध्वी मधुलता जी ने पर्युषण आराधना और खाद्य संयम के विभिन्न बिंदुओं की ओर ध्यान आकर्षण किया। साध्वी मधुलेखा जी ने खाद्य संयम विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
स्वाध्याय दिवस: पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी ने कहा कि स्वाध्याय उत्तम तप है। स्वाध्यायी व्यक्ति पर-चिंता और पर-प्रपंच से मुक्त रहता है। स्वाध्याय करने वाला दुश्चिंतन या सकारात्मक संकल्प-विकल्प से दूर रहता है। स्वाध्याय स्वयं को जानने-देखने और बदलने की प्रक्रिया है। साध्वीश्री जी ने कहा कि महावीर को जानने का अर्थ है आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया को जानना। साध्वी मधुलता जी ने कहा कि स्वाध्याय वह दर्पण है, जिससे हम स्वयं को देख सकते हैं। साध्वी संस्कृतिप्रभा जी ने स्वाध्याय को विस्तार के साथ बताया। महिला मंडल जयपुर, सी-स्कीम की युवती बहनों ने मधुर गीत प्रस्तुत किया।
सामायिक दिवस: सामायिक है आत्मा का अमृत। उस अलौकिक अमृत को प्राप्त करने पर्युषण का तीसरा दिवस सामायिक आराधना द्वारा मनाया गया। साध्वी मधुलता जी ने सामायिक साधना के विभिन्न चरणों का सुझाव देते हुए अभिनव सामायिक का प्रयोग कराया। लगभग 550 लोगों ने निर्धारित समय में विधिवत् 830 सामायिक की। साध्वी कनकश्री जी ने सामायिक साधना को कायाकल्प का प्रयोग और आत्मा का अमृत बताते हुए कहा कि सामायिक व्यक्तित्व के रूपांतरण की वैज्ञानिक विधि है। महिला मंडल की बहनों ने मंगल संगान किया। वाणी संयम दिवस: पर्युषण के चौथे दिन वाणी संयम की विशेष प्रेरणा देते हुए साध्वी कनकश्री जी ने कहा कि सामूहिक जीवन में मौन से भी अधिक मूल्य है विवेक का। संबंधों की मधुरता और कटुता भाषा प्रयोग पर ही निर्भर है। साध्वी मधुलेखा जी ने कार्यक्रम का शुभारंभ मंगल संगान से किया। साध्वी समितिप्रभा जी ने वाणी संयम दिवस पर ‘कैसे बोलें’ के उपयोगी टिप्स बताए।
अणुव्रत चेतना दिवस: व्रत है सुरक्षा कवच विषय पर साध्वी कनकश्री जी ने कहा कि अणुव्रत जीवन का दर्शन है, संयमित, अनुशासित जीवनशैली है। नया मानव, नया समाज, नया राष्ट्र, संयम और अनुशासन की नींव पर ही प्रतिष्ठित हो सकता है। साध्वी मधुलता जी ने मनोवैज्ञानिक तरीके से छोटे-छोटे नियमों की शक्ति और प्रभाव को समझाया। कन्या मंडल, जयपुर की कन्याओं ने मंगलाचरण किया। साध्वी मधुलेखा जी ने अणुव्रत के महत्त्व पर अपने विचार व्यक्त किए।
जप दिवस: शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी ने विभिन्न मंत्रों की आध्यात्मिक-वैज्ञानिक दृष्टि से चर्चा की। साध्वीश्री जी ने कहा कि महावीर का जन्म स्वतंत्रता एवं आत्मविजय का संदेश लेकर आया था। उदितोदित वर्धमान बचपन से ही साहसी, करुणाशील, विनम्र और माता-पिता के आज्ञाकारी थे। साध्वी मधुलता जी ने जप के विषय में विशेष जानकारी दी। साध्वी कनकश्री जी द्वारा रचित गीत सुधा दुगड़ ने प्रस्तुत किया। ध्यान दिवस: साध्वी कनकश्री जी ने कहा कि ध्यान के विधिवत् एवं नियमित अभ्यास से सत्य का साक्षात्कार एवं मैत्री का विस्तार होता है। साध्वी मधुलता जी ने मधुर संगान कर विशाल परिषद को ध्यान के अभ्यास की प्रेरणा दी। साध्वी संस्कृतिप्रभा जी ने ध्यान की चार भूमिकाओं का प्रतिपादन किया। तेयुप के युवा कार्यकर्ताओं ने मंगल संगान किया।
संवत्सरी पर्व: शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी के सान्निध्य में संवत्सरी महापर्व मनाया गया। साध्वी मधुलेखा जी ने महामंत्र का जप और ध्यान का प्रयोग कराया। साध्वी वीणाकुमारी जी ने उत्तराध्ययन सूत्र का वाचन किया। साध्वी कनकश्री जी ने संवत्सरी महापर्व को आत्ममंथन और आत्मा के सान्निध्य में रहने का पर्व बताया। साध्वी मधुलता जी ने महासती चंदनबाला के जीवन को प्रस्तुत किया। साध्वी मधुलेखा जी ने श्रुतकेवली आचार्यों का इतिहास बताया। साध्वी संस्कृतिप्रभा जी ने निन्हव परंपरा को बताया। साध्वी कनकश्री जी ने जैन शासन की गौरवशाली ऐतिहासिक घटनाओं और तेरापंथ की यशस्वी आचार्य परंपरा को बताया। निर्मला बरड़िया ने 26 की तपस्या का पच्चखाण किया। 175 पौषध की आराधना भिक्षु साधना केंद्र एवं घरों में हुई। सभी कार्यक्रम एवं साधना-आराधना के उपक्रम विशेष आकर्षक, प्रेरक एवं संघ प्रभावक रहे।
मैत्री दिवस: भिक्षु साधना केंद्र के प्रज्ञा समवसरण में विशाल जनमेदिनी के मध्य साध्वीश्री जी द्वारा मंगलमय महामंत्र के पश्चात् मैत्री दिवस का कार्यक्रम परस्पर क्षमा के आदान-प्रदान के साथ संपन्न हुआ। सुशीला नखत ने उपस्थित जनमेदिनी के साथ श्रद्धेय आचार्यप्रवर, मुख्य मुनि महावीर कुमार जी, साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी एवं साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी से सविधि क्षमायाचना की। जयपुर में विराजित सभी चारित्रात्माओं से तथा श्रावक-श्राविकाओं ने परस्पर खमतखामण किया। शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी ने मैत्री दिवस के महत्त्व को उजागर करते हुए उपशांत कषाय की साधना करने की प्रेरणा दी। आपश्री ने पूज्यप्रवर, मुख्य मुनि महावीर कुमार, साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी एवं साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी से विनय भावित अंतःकरण से क्षमायाचना की। साध्वीवृंद व श्रावक-श्राविका समाज से खमतखामणा की। इस अवसर पर साध्वी मधुलता जी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी।
भिक्षु साधना केंद्र समिति के अध्यक्ष नवरतन नखत ने कहा कि चातुर्मास और पर्युषणकालीन व्यवस्थाओं में कमी रही हो तो मैं सभा की तरफ से पूरे समाज से क्षमायाचना करता हूँ। महिला मंडल, जयपुर सी-स्कीम की अध्यक्षा नीरू पुगलिया, तेरापंथी सभा, जयपुर की ओर से हिम्मत डोसी ने अपनी संस्थाओं की ओर से खमतखामणा की। साध्वीश्री की आध्यात्मिक पुरुषार्थ और भारी परिश्रम के लिए श्रावक समुदाय ने कृतज्ञता के स्वरों में आंतरिक अहोभाव अभिव्यक्त किया। पूरे पर्युषण काल में प्रातःकालीन और रात्रिकालीन सभी कार्यक्रमों का संचालन साध्वी मधुलता जी ने किया।