विकास महोत्सव के आयोजन
गांधीनगर, बैंगलोर
कुछ करिश्माई व्यक्तित्व इतिहास को सिरे से बदल देते हैं। ऐसे ही एक व्यक्तित्व हुआ, जिसने अपने कर्तृत्व के शंखनाद से नए विकास के युग का आरंभ किया। वह व्यक्तित्व हुआ आचार्यश्री तुलसी। गुरुदेव तुलसी जिन्होंने लघुवय में संयम स्वीकार कर अपने विनय समर्पण द्वारा बाइस वर्ष की उम्र में ही आचार्य पद को संभाल लिया। वह मानवता के मसीहा थे। उनकी हर एक कला विलक्षण थी। आज गुरुदेव तुलसी का पट्टोत्सव है, जिसे हम विकास महोत्सव के रूप में मना रहे हैं । हम उनके दिखाए हुए विकास के राजमार्ग पर चलते हुए जीवन को विकसित एवं पल्लवित करें। सहयोगी संत मुनि भरत कुमार जी ने कहा कि गुरुदेव तुलसी ने मानवता का विकास किया है, वह समाज सुधारक थे। जिन्होंने अपने अवदानों द्वारा एक नया प्रकाश दिखाया। बाल संत मुनि जयदीप कुमार जी ने अपने विचार व्यक्त किए।
सभा अध्यक्ष कमल सिंह दुगड़ ने सभी का स्वागत किया। बहादुर सेठिया ने गीतिका प्रस्तुत की। वीणा बैद ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में महासभा कर्नाटक दक्षिण आंचलिक प्रभारी प्रकाशचंद लोढ़ा, तेयुप अध्यक्ष प्रदीप चोपड़ा एवं श्रावक समाज उपस्थित थे।