श्रीमज्जयाचार्य का 142वाँ निर्वाण दिवस एवं तप अभिनंदन समारोह

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श्रीमज्जयाचार्य का 142वाँ निर्वाण दिवस एवं तप अभिनंदन समारोह

राजलदेसर।
तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादा और अनुशासन की परंपरा को सुदृढ़ करने वाले चतुर्थ आचार्य श्रीमज्जयाचार्य का 142वाँ निर्वाण दिवस तेरापंथ भवन में साध्वी मंगलप्रभा जी के सान्निध्य में मनाया गया। साध्वीश्री जी ने कहा कि जयाचार्य एक अध्यात्मवेत्ता, तत्त्ववेत्ता आचार्य थे। जयाचार्य अध्यात्म के मणिदीप थे। ऊर्जा के अक्षय कोष थे। इस अवसर पर साध्वीवृंद एवं महिला मंडल ने गीतिका प्रस्तुत की। कन्या मंडल द्वारा मंगलाचरण से शुरू हुए तप अभिनंदन समारोह में अपने भावों को प्रकट करते हुए साध्वीश्री जी ने कहा कि भव परंपरा को तपस्या के द्वारा कम किया जा सकता है। तपस्या कर्मों को हल्का करने के लिए की जाती है। तपस्या वह वज्र है जो कर्मों को चकनाचूर कर देता है। तपस्या से अनेकों व्याधियों का निवारण होता है। इस अवसर पर लक्ष्मी डागा द्वारा सात दिवसीय तप का अभिनंदन भी किया गया। साध्वीवृंद ने सामूहिक गीतिका का संगान किया। साध्वी प्रणवप्रभाजी, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष, तेयुप अध्यक्ष, तेममं सहित सविता बच्छावत, रीना बैद, आरती बैद, खुशी बैद आदि ने गीत, वक्तव्य के माध्यम से अपने भाव व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन साध्वी समप्रभाजी ने किया।