बारह व्रत कार्यशाला के आयोजन
कांटाबाजी
मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में तेयुप द्वारा बारह व्रत कार्यशाला आयोजित हुई। मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि बारह व्रत श्रावक जीवन की साधना का अंग है। जब तक श्रावक जीवन में व्रत को धारण नहीं करते हैं तब तक वह श्रावक नहीं होता है। चार तीर्थ में समावेश श्रावक धर्म का पालन करने से होता है। पाप कर्म से बचने का सशक्त माध्यम व्रत बनता है। श्रावक अल्प परिग्रह, अल्प आरंभ का जीवन जीने का प्रयास करें। नियम, व्रत की अनुपालना आचार-व्यवहार को सम्यग् बनाते हैं। समाज में बढ़ती हिंसा, अपराध, विषमता का कारण असंयम है। साधु-साध्वी पाँच महाव्रत, पाँच समिति, तीन गुप्ति की पालना करते हैं। श्रावक-श्राविका बारह व्रत का पालन करते हैं। संयम की साधना से कर्म की निर्जरा होती है। जिसके साथ पुण्य का बंध भी हो जाता है। पुण्य की आकांक्षा हमारा भाव न बनें। अपनी आवश्यकताओं को संकल्पपूर्वक सीमित कर लेना एक स्वस्थ जीवनशैली का लक्षण है।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि बारह व्रत श्रावक का सुरक्षा कवच होता है। जब तक जीवन में व्रत नहीं होता तब तक श्रावक नहीं कहलाते हैं। व्रत हमारे संयम की सुरक्षा संवर्धन करते हैं। आत्मबल मनोबल व्रत की चेतना से बढ़ता है। वीतराग की पूजा करने से कल्याण नहीं उनकी आज्ञा पालन करने से कल्याण होता है। मीडिया प्रभारी अविनाश जैन ने बताया कि तेयुप मंत्री गौरव जैन ने बारह व्रत कार्यशाला के उद्देश्य के बारे मे बताया। आभार ज्ञापन ऋषभ जैन ने किया। दिनेश अग्रवाल का तप अभिनंदन आयोजित हुआ। सभा कोषाध्यक्ष किशन जैन, सभा मंत्री सुमित जैन, तपस्वी दिनेश अग्रवाल ने विचारों की अभिव्यक्ति प्रस्तुत की एवं ऋषभ के0 जैन ने विचार प्रस्तुत किए।