मासखमण तप अभिनंदन के कार्यक्रम

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मासखमण तप अभिनंदन के कार्यक्रम

कांदिवली
साध्वी निर्वाणश्रीजी के सान्निध्य में तीन मासखमण एवं दो धर्म चक्र तप का अनुमोदन प्रमोदभाव से किया गया। उपस्थित तपस्वी बहनों को संबोधित करते हुए साध्वी निर्वाणश्री जी ने कहा कि शांत सुधारस काव्य में तप की महिमा का गान करते हुए उसे निविड़ कर्मों को काटने का श्रेष्ठ माध्यम बताया है। तपश्चर्या से निकाचित कर्मों को तोड़ा जा सकता है। तप के साथ पारणे में भी संयम रखना अपेक्षित है।
साध्वी डॉ0 योगक्षेमप्रभा जी ने कहा कि जिनशासन में करण-योग का महत्त्व है। जिस कार्य को करने में धर्म है, उसे करवाने तथा अनुमोदन में भी धर्म है। तप अनुमोदन करके सब कर्म निर्जरा करें यह काम्य है। साध्वी मधुरप्रभाजी ने साध्वीप्रमुखाश्रीजी के संदेश का वाचन किया। साध्वीवृंद ने गीत की प्रस्तुति दी। एसटीएमएफ के ‘सहमंत्री’ प्रकाश धाकड़, तेममं मुंबई की अध्यक्षा रचना हिरण, अभातेममं की पूर्व महामंत्री तरुणा बोहरा, कांदिवली महिला मंडल की तरफ से रेखा संचेती दिशा परमार, किंजल खिंवेसरा, वैशाली सूर्या तथा परिजनों ने वक्तव्य, गीत आदि से तप अनुमोदना की।
इस अवसर पर बाबूलाल सूर्या व प्रकाश खिंवेसरा ने तपोपहार भेंट किया। तप अभिनंदन-पत्र का वाचन सभा के उपाध्यक्ष गजेन्द्र बाफना ने किया। इन पाँच तपस्वियों के नाम इस प्रकार हैं-(1) संतोक देवी मेहता (मासखमण)। (2) मंजुला तलेसरा (मासखमण)। (3) तनु सुराणा (मासखमण)। (4) लीला सूर्या (धर्मचक्र तप)। (5) लीला खिंवेसरा (धर्मचक्र तप)।