विकास महोत्सव के विविध आयोजन विकास के श्लाका पुरुष थे आचार्यश्री तुलसी

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विकास महोत्सव के विविध आयोजन विकास के श्लाका पुरुष थे आचार्यश्री तुलसी

फरीदाबाद
साध्वी शुभप्रभा जी के सान्निध्य में विकास महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर साध्वी शुभप्रभाजी ने कहा कि आचार्य तुलसी की जीवन महागाथा को पढ़ें तो ऐसा लगता है कि उन्होंने जिंदगी को सहज, सरल बनाने के लिए कुछ बातों को नजरअंदाज किया, कुछ को बर्दाश्त किया और सही समय पर फैसले लेकर नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए। विकास शब्द का विश्लेषण करते हुए साध्वीश्री जी ने कहा-वि-विनयशीलता हो, का-कार्यशीलता तथा स-सहनशीलता का आभूषण सभी पहनें।
उन्होंने कहा कि शरीर अस्वस्थ, मन का असंतुलन, शब्दों में कड़वापन, भावों में मलिनता होने से विकास नहीं हो सकता। विकास की आधारशिला-अच्छा पढ़ो, अच्छा सुनो, अच्छा देखो, अच्छा सोचो, अच्छा बोलो, अच्छा करो और अच्छा जीवन जीओ। साध्वी मंदारयशा जी ने भाषण दिया। साध्वी अनन्यप्रभा जी ने विकास महोत्सव के सदंर्भ में कविता पाठ किया। सभामंत्री संजीव बैद, बहादुर सिंह दुगड़, स्नेहा दुगड़, ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने शब्दचित्र, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने तुलसी अष्टकम् एवं विकास की वर्णमाना की प्रस्तुति दी। शर्मिला, रचना आदि बहनों ने मंगलाचरण किया। अणुव्रत समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक संचेती ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी कांतयशा जी ने कार्यक्रम का संचालन किया।