विकास महोत्सव के विविध आयोजन विकास के श्लाका पुरुष थे आचार्यश्री तुलसी
सुनाम
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी स्वामी ने विकास महोत्सव के अवसर पर कहा कि आचार्यश्री तुलसी तेरापंथ के प्रथम आचार्य थे, जो 22 वर्ष की अवस्था में आचार्य बने और आचार्य बनते ही उन्होंने जिस गति से कार्य को आगे बढ़ाया तेरापंथ धर्मसंघ का मानो कायाकल्प कर दिया। उन्होंने अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से जैन-अजैन, हिंदू-मुसलमान सबको नैतिक बनाकर शुद्ध-सात्त्विक जीवन जीने की कला सिखाई। उनका प्रत्येक दूरदर्शी चिंतन आत्मकल्याण के साथ परिवार, समाज, देश और विश्व निर्माण में निमित्त बना।
इस अवसर पर मुनि अमन कुमार जी, मनि नमि कुमार जी, केवलकृष्ण गोयल, रामस्वरूप जैन, सुरेश जैन, संदीप जैन, अरिहंत जैन, विपिन जैन, मक्खनलाल जैन, पुष्पा जैन, सुनीता जैन ने अपने विचार व्यक्त किए। शिक्षक दिवस पर भी मुनिश्री ने कहा कि शिक्षक विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करके परिवार, समाज, देश की बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं। विद्यार्थियों को भी शिक्षकों के प्रति विनम्र रहना चाहिए।