अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

धर्म बोध
शील धर्म

प्रश्न 9 : ब्रह्मचर्य अणुव्रत के कितने अतिचार हैं?
उत्तर : ब्रह्मचर्य अणुव्रत के पाँच अतिचार हैं। इनकी सम्यक् अवगति कर इनके आचरण से बचना बहुत अपेक्षित है। वे इस प्रकार हैं-
(1) इत्वरपरिगृहीतागमन-थोड़े समय के लिए गृहीत अविवाहित स्त्री को इत्वरपरिगृहीता कहते हैं। वह वास्तव में परदार न होने पर भी अणुव्रती उसे परदार समझे और उसके साथ मैथुन सेवन न करें।
(2) अपरिगृहीतागमन-किसी के द्वारा अगृहीत वेश्या आदि परदार नहीं, पर अणुव्रती उसे परदार समझे और उसके साथ मैथुन सेवन न करे।
(3) अनंगक्रीड़ा-आलिंगनादि क्रीड़ा अथवा अप्राकृतिक क्रीड़ा को अनंगक्रीड़ा कहते हैं। अणुव्रती इन्हें भी मैथुन समझकर उसका परिहार करे।
(4) परविवाहकरण-अपनी संतान अथवा परिवार के व्यक्तियों के अतिरिक्त परसंतति का विवाह न करे।
(5) कामभोगतीव्राभिलाषा-काम-भोग की तीव्र अभिलाषा न रखे अथवा काम-भोग का तीव्र परिणाम से सेवन न करे।

(क्रमश:)