राग-द्वेष पर विजय प्राप्त करने का पर्व है पर्युषण महापर्व
विजयनगर, बैंगलोर।
पर्युषण महापर्व के प्रथम दिन की शुरुआत तेरापंथी सभा के तत्त्वावधान में मुनि रश्मि कुमार जी के सान्निध्य में हुई। सर्वप्रथम महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण का संगान हुआ। खाद्य संयम दिवस के उपलक्ष्य में मुनि प्रियांशु कमार जी ने भोजन को किस तरह से हमें अपने जीवनचर्या में उपयोग करना चाहिए। हित आहार मित आहार के बारे में जानकारी प्रदान की। इसी तरह पर्वों में श्रेष्ठ पर्व पर्युषण महापर्व है। सातों दिन हमें अपने मन की सफाई करनी है और अपनी आत्मा को पवित्र बनाने का यह पर्व मनाया जाता है। मुनिश्री ने सात दिन के नियमों के बारे में विशेष जागरूकता के साथ सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रेरित किया।
स्वाध्याय दिवस: मुनि रश्मि कुमार जी ने स्वाध्याय दिवस के उपलक्ष्य में मधुर गीतिका के माध्यम से कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उत्तम उपाय स्वाध्याय है। मुनिश्री ने एक प्रश्न के संदर्भ में बताया कि स्वाध्याय से जीव क्या प्राप्त करता है? जवाब में बताया कि जीव स्वाध्याय से ज्ञानवर्णीय कर्म का क्षीण कर सकते हैं।
मुनि प्रियांशु कुमार जी ने स्वाध्याय कैसे करना चाहिए उस विषय पर धर्मसभा को स्वाध्याय के बारे में समझाया। उन्होंने कहा कि बिना ज्ञान के दान देना या किसी भी शुभ कार्य को करना बिना ज्ञान के बेकार है, और ज्ञान स्वाध्याय करने से आता है तथा ज्ञान से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए हमें ज्ञानवर्धक साहित्य का पठन करना चाहिए।
अभिनव सामायिक: अभिनव सामायिक दिवस की शुरुआत तेयुप विजयनगर की भजन मंडली विजय स्वर संगम के द्वारा मंगलाचरण से की गई।
मुनि रश्मि कुमार जी ने स्वाध्याय एवं ध्यान का प्रयोग करवाते हुए सामायिक के महत्त्व को समझाते हुए बताया कि सामायिक कैसे मुक्ति का मार्ग है। पूर्ण एकाग्रतापूर्वक अगर दिन की एक सामायिक की जाए तो मनुष्य का भव सुधर जाता है और वह अगले जन्म में देव गति को प्राप्त करता है। संयम की साधना है सामायिक। मुनि प्रियांशु कुमारी जी ने भी कहानी के माध्यम से सामायिक के महत्त्व को समझाया।
वाणी संयम दिवस: मुनि रश्मि कुमार जी ने वाणी संयम दिवस पर बताया कि वाणी के संयम से मनुष्य को हर जगह मान सम्मान की प्राप्ति होती है। हम अपनी वाणी पर संयम रखकर बड़े से बड़े शत्रु को भी मित्र बना सकते हैं। अपने विवेक से वाणी का मधुर प्रयोग करना चाहिए।
मुनि प्रियांशु कुमार जी ने कहानी के माध्यम से वाणी संयम की उपयोगिता के बारे में समझाया।
कार्यक्रम की शुरुआत तूफान मांडोत एवं सभा सदस्यों के मंगलाचरण गीतिका के माध्यम से हुई। इस अवसर पर जैन रिलिफ फाउंडेशन के सदस्य एवं कार्यकर्ताओं की तरफ से जेआरएफ कार्ड की जानकारी दी गई। कार्यक्रम का संचालन सभा के सहमंत्री लाभेश कांसवा ने किया।
अणुव्रत चेतना दिवस: अणुव्रत चेतना दिवस के उपलक्ष्य में गीतिका के पद्य से अणुव्रत के बारे में बताया। अणुव्रत नाम को जागृत एवं जन्मदाता तेरापंथ के नवम आचार्य गणाधिपति गुरुदेव तुलसी ही थे, जिन्होंने इस अणुव्रत नाम की क्रांति पूरे विश्व में जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया। अणुव्रत का मतलब आपके अंदर अथाह छिपी हुई कमियों, गलतियों को दूर कर अच्छाइयों की तरफ आपको वशीकृत करके आपकी रक्षा करने का तरीका ही अणुव्रत कहलाता है। उक्त विचार मुनि रश्मि कुमार जी ने व्यक्त किए।
कार्यक्रम की शुरुआत गांधीनगर, बैंगलोर से समागत प्रेक्षा संगीत सुधा की टीम के मंगलाचरण से हुई।
पंचरंगी तप के कार्यक्रम में तपस्या करने वाले भाई-बहनों ने अपने नाम लिखाए जो मुनिश्री की प्रेरणा से ही संभव हो सका।
जप दिवस: मुनि रश्मि कुमार जी ने गीतिका के माध्यम से जाप करने की महत्त्वता पर रोशनी डाली। जप एक आलंबन सूत्र है। आत्मकल्याण का सूत्र है। जप दिवस के उपलक्ष्य में मुनिश्री ने धर्मसभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को तकरीबन 30 मिनट तक ‘सर्वकार्य सिद्धि’ मंत्र जाप का अनुष्ठान करवाया।
जप दिवस के उपलक्ष्य में मुनि प्रियांशु कुमार जी ने नमस्कार महामंत्र की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि नमस्कार महामंत्र सभी मंत्रों में एक ऐसा मंत्र है जिसका जाप निरंतर करते रहने से हम अपने अरिहंत देव, सिद्ध देव, हमारे धर्माचार्यों को और लोक के सभी साधु-साध्वियों की स्तुति करते हुए उनका स्मरण कर उनको नमस्कार कर सकते हैं इस एक ही मंत्र में इतनी विशिष्टता हैं तथा इसको रोजाना हमें प्रातः इसका जाप करते रहना चाहिए।
कार्यक्रम की शुरुआत तेयुप राजराजेश्वरी की भजन मंडली तुलसी संगीत सुधा द्वारा मंगलाचरण से हुई। अर्हम् मित्र मंडल के अध्यक्ष बहादुर सेठिया ने गीतिका की प्रस्तुति दी।
ध्यान दिवस: मुनि रश्मि कुमार जी के सान्निध्य में सातवाँ दिवस ध्यान दिवस पर प्रेक्षा फाउंडेशन की टीम के द्वारा मंगलाचरण गीतिका की प्रस्तुति हुई।
मुनि रश्मि कुमार जी ने गीतिका के माध्यम से बताया कि तपस्या एक अग्नि के समान है जो हमारे में क्रोध को बढ़ाती है, लेकिन ध्यान पानी की ठंडी बूँद की तरह है जो क्रोध की अग्नि को शांत करता है। पहले ज्ञान, फिर ध्यान उसके बाद चर्या आनी चाहिए।
ध्यान साधना के विषय पर बताते हुए मुनि प्रियांशु कुमार जी ने कहा कि गुरु की कृपा से ध्यान लगाया जा सकता है। मुनिश्री ने कहा कि मोक्ष के दो मार्ग हैंµपहला संकल्प शक्ति और दूसरा निर्जरा। ध्यान योग करने के लिए मन, वचन, काया को जागृत करने के लिए ध्यान लगाना आवश्यक होता है।
सभा अध्यक्ष प्रकाश गांधी ने सभी तपस्वी भाई-बहनों की तप की अनुमोदना की। तेयुप के उपाध्यक्ष विकास बांठिया ने ध्यान का प्रयोग करवाया।
संवत्सरी महापर्व: मुनि रश्मि कुमार जी के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व का आखिरी दिन संवत्सरी पर्व क्या है और इसकी क्या महत्त्वता है उसके बारे में जानकारी दी। मुनिश्री ने ध्यान और जप का प्रयोग कराते हुए सुमधुर भजनों एवं मंगल सूत्रों का वाचन कर जैन धर्म की विशेषताओं का वर्णन किया।
मुनि रश्मि कुमार जी ने गीतिका के माध्यम से कहा कि आदमी को मन के अंदर गाँठ नहीं रखनी चाहिए, नहीं तो आदमी का सम्यक्त्व चला जाता है। भगवान महावीर ने कहा कि पर्युषण का मतलब है अपने आपके समीप आना।
मुनिश्री ने इस अवसर पर कालचक्र का वाचन करते हुए बताया कि जनगणना के अनुसार संसार में पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा आरे के बारे में बताया और वर्तमान में यह पाँचवाँ आरा चल रहा है, इसका विस्तार से वर्णन किया।
मुनि प्रियांशु कुमार जी ने बताया कि भगवान महावीर स्वामी ने दस हजार प्रकार के धर्मों के बारे में बताया है, जिसमें सबसे मुख्य और अहम् धर्म हैµक्षमा। क्षमा माँगना और क्षमा प्रदान करना क्षमा कब और कैसे माँगनी चाहिए उसके पहले हमें संवत्सरी पर्व के बारे में जानना होगा, उन्होंने एक छोटे से उदाहरण के माध्यम से समझाया।
कार्यक्रम की शुरुआत सभा, तेयुप, महिला मंडल के सदस्यों के द्वारा सामूहिक मंगलाचरण से हुई।
क्षमापना दिवस: मुनि रश्मि कुमार जी, मुनि प्रियांशु कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथी सभा के तत्त्वावधान में सामूहिक खमतखामणा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। सभा अध्यक्ष प्रकाश गांधी ने तपस्या की उनकी साता पूछी।
इस अवसर पर क्षमायाचना की ओर इस पर्युषण पर्व के दौरान जिन-जिन भाई-बहनों का सहयोग मिला। सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर तेयुप के दिनेश पोखरणा, तेयुप अध्यक्ष श्रेयांस गोलछा, महिला मंडल उपाध्यक्ष महिमा पटावरी, महिला मंडल से बरखा पुगलिया, अर्हम् मित्र मंडल के मंत्री विनोद पारख, मुनि प्रियांशु कुमार जी के संसारपक्षीय माता कांता नौलखा ने भी अपनी भावनाओं के साथ सभी से क्षमायाचना की। मुनि रश्मि कुमार जी ने अपने उद्बोधन में पूर्व सभी को भाव प्रतिपूर्वक गुरुदेव आचार्यश्री महाश्रमण जी, साध्वीप्रमुखाश्री, मुख्य मुनि महावीर कुमारजी, साध्वीवर्याजी एवं समस्त साध्वीवृंद, मुनिवृंद से सामूहिक खमतखामणा किया।
मैत्री पर्व क्षमा का पर्व है मन में किसी प्रकार का वैर न रखने का पर्व है और यह कार्य बड़े ही सादगीपूर्वक अपने सहवर्ती मुनि, मुनि प्रियांश कुमार जी से क्षमा करने लगे मुनिश्री ने इस पर्युषण काल के दौरान विशेष रूप से प्राप्त सेवाओं के लिए ललित सेठिया, प्रकाश कोचर और अमृत दलाल की भी प्रशंसा की।