पर्वाधिराज मैत्री पर्व संवत्सरी

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पर्वाधिराज मैत्री पर्व संवत्सरी

मंगलुरु।
बैंगलुरु से समागत उपासिका बहनों के तत्त्वावधान में पर्युषण पर्व पूरे आध्यात्मिक वातावरण में मनाया गया। उपासिका सरोज आर0 बैद, लता बाफना व हेमलता सुराणा द्वारा कालचक्र का वर्णन, भगवान महावीर के पूर्व भव एवं जीवन-चरित्र का वर्णन, अष्टदिवसीय विषय विवेचना, 10 अछेरों का वर्णन, 12 व्रत-धारण, 18 पाप-परिहार, मंत्र-साधना, तत्त्वज्ञान, जैन जीवनशैली, चौदह नियम, भिक्षु स्वामी के जीवन से जुड़े अविस्मरणीय प्रसंग इन सभी विषयों का सटीक विश्लेषण किया गया। इन आठ दिनों में जैन परिवारों में धर्मध्यान का अच्छा माहौल रहा। श्रावक समाज ने अच्छा लाभ प्राप्त किया। निरंतर सुबह से प्रार्थना, प्रवचन, दोपहर में भक्तामर, तत्त्वचर्चा व जैन विद्या, सायंकालीन प्रतिक्रमण और रात्रि में जैन दर्शन पर आधारित विभिन्न विषयों पर अच्छी चर्चा चली।
क्षेत्र में अच्छी संख्या में उपवास, एकासन, पौषध आदि हुए। बेले-तेले की तपस्या, जपानुष्ठान, सामायिक व मौन की पचरंगी भी हुई। गुरु-धारणा एवं 12 व्रत संकल्प करवाए गए। सामूहिक खमतखामणा का आयोजन किया गया, जिसमें उपासिकात्रय का सभा एवं मलनाड समिति ने साहित्य द्वारा सम्मान किया गया। सभाध्यक्ष सतीश भूरा, मलनाड़ समिति अध्यक्ष तेजकरण सिपानी, तेममं अध्यक्ष शायर बैंगाणी, अलका बैद आदि ने गुरुदेव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उपासिका बहनों के प्रति मंगलभावना व्यक्त की तथा गोमतीदेवी दुगड़ परिवार का स्थान उपलब्धता हेतु आभार व्यक्त किया। जैन विद्या परीक्षार्थियों एवं तपस्वियों को सम्मानित किया गया।