नई पीढ़ी में संस्कारों का निर्माण आवश्यक है

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नई पीढ़ी में संस्कारों का निर्माण आवश्यक है

सवाई माधोपुर।
हर धर्म के अपने संस्कार होते हैं, जो उसके अनुयायियों में नैतिकता व शक्ति का संचरण करते हैं। जैन एक पूर्ण सात्त्विक, अहिंसक व समन्वयवादी धर्म है। उससे जुड़े संस्कारों को जीवन व्यवहार में अपनाना समायोचित व प्रासंगिक है। उक्त विचार मुनि सुमति कुमार जी ने आदर्शनगर स्थित अणुव्रत भवन में जैन संस्कार विधि कार्यशाला में व्यक्त किए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व वक्ता श्रीगंगानगर से समागत जैन संस्कारक विमल कोटेचा ने जैन संस्कार विधि की उपादेयता बतलाते हुए दीपावली पूजन की दोषरहित आध्यात्मिक पूजा पद्धति की जानकारी दी। संस्कारक सौरभ जैन, सभा मंत्री नरेंद्र जैन व तेयुप पदाधिकारी तरुण जैन ने पूजा पद्धति में भाग लिया। इससे पूर्व मुनि देवार्यकुमार जी ने जैन परंपरा के विभिन्न संस्कारों की जानकारी दी व उनको आदर्श रूप में जीवन का अंग बनाने की प्रेरणा दी। जयपुर से समागत इंद्र बहन ने मुनिवृंद की अर्भ्थना करते हुए गीतिका की प्रस्तुति दी। सभा की ओर से मंत्री नरेंद्र जैन ने आगंतुक अतिथियों का आभार ज्ञापित किया।