आत्मविद्या का ज्ञान होता-तत्त्व ज्ञान से

संस्थाएं

आत्मविद्या का ज्ञान होता-तत्त्व ज्ञान से

कांटाबाजी।
मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में एवं संस्था शिरोमणि महासभा के अध्यक्ष मनसुख सेठिया के मुख्य आतिथ्यि में विज्ञ उपाधि प्राप्त सम्मान समारोह आयोजित हुआ। मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि जीवन में ज्ञान का विकास बहुत जरूरी है। जितना-जितना हम अपनी जिंदगी में ज्ञान को आगे बढ़ाते जाएँगे उतना-उतना हम विकास में आगे बढ़ते जाएँगे। ज्ञानी व्यक्ति जीवन का यथार्थ समझ लेता है। तत्त्व को समझने वाला व्यक्ति आए हुए दुःख को भोगता नहीं है, जानता जरूर है, लेकिन कभी दुखी नहीं होता है। तत्त्वज्ञान हमारे जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि जैन दर्शन अनादिकाल से चला आ रहा है। जैन धर्म के सिद्धांत वैज्ञानिक हैं। श्रावक को नवतत्त्व, बारह व्रत, छः जीवनिकाय का ज्ञान होना आवश्यक है। आधे-अधूरे ज्ञान से व्यक्ति स्वयं भटक जाता है एवं औरों को भी भटका देता है। धर्म को यथार्थ रूप से जानने से ही जीवन में धर्म का वास्तविक अवतरण होता है। संस्था शिरोमणि महासभा अध्यक्ष मनसुख सेठिया ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी के साहित्य ने उच्च शिक्षा प्राप्त, उच्च पद प्राप्त व्यक्ति के दृष्टिकोण को उर्वर बनाया है। जैन दर्शन ने जनमानस को नया चिंतन दिया है। श्रावक संदेशिका का प्रत्येक श्रावक पठन-पाठन अवश्य करें। श्रावक चिंतन करें कि क्या केवल धनार्जन ही करना है या आध्यात्मिकता का भी विकास करना है।
मीडिया प्रभारी अविनाश जैन ने बताया कि विज्ञ उपाधि धारक बॉबी जैन, सपना, युवराज जैन, ममता बनमाली एवं पूजा सुनील जैन का महासभा अध्यक्ष मनसुख सेठिया एवं तेरापंथ सभा अध्यक्ष युवराज जैन ने सम्मानित किया। प्रांतीय सभा की ओर से अध्यक्ष मुकेश जैन ने सम्मान किया। तेरापंथ सभा मंत्री सुमित जैन, तेयुप अध्यक्ष अंकित जैन, तेममं से ममता जैन ने महासभा अध्यक्ष मनसुख सेठिया का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन अजय जैन ने किया।