आत्मदर्शन का महापर्व है - पर्युषण

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आत्मदर्शन का महापर्व है - पर्युषण

साक्री (महाराष्ट्र)।
साक्री में उपासक श्रेणी द्वारा पर्युषण पर्वाराधना मुख्य उपासिका-दमयंती गेलड़ा, उपासिका साधना गेलड़ा, उपासिका मीना संचेती की उपस्थिति में सानंद संपन्न हुई। पर्व के प्रथम दिन की शुरुआत नमस्कार महामंत्र के साथ की गई। स्थानीय सभा द्वारा उपासिका बहनों का स्वागत किया गया। मुख्य उपासिका दमयंती ने आचार संहिता एवं श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। तीनों बहनों ने आचार संहिता के नियमों के पालन का संकल्प किया।
प्रतिदिन सुबह प्रार्थना का क्रम चला। हर दिन नियोजित दिवस पर गीतिका का संगान एवं दिवस का महत्त्व बताया गया। साथ में कालचक्र, भगवान ऋषभ एवं भगवान महावीर के जीवन यात्रा का वर्णन चला। साथ में ठाणं सूत्र के कुछ अध्याय के बारे में भी बताया गया। वाणी संयम दिवस पर टीना पगारिया ने अपने विचार रखे। सामायिक दिवस पर अभिनव सामायिक का प्रयोग करवाया गया। जप दिवस के उपलक्ष्य में 13 घंटों का नमस्कार महामंत्र का जप किया गया। हर रोज दोपहर में 2 से 3 तक तत्त्वज्ञान पर चर्चा चली। सायंकालीन वंदना का क्रम सुचारु रूप से चला।
प्रतिक्रमण में भी भाई-बहनों एवं बच्चों की उपस्थिति अच्छी रही। रात्रिकालीन कार्यक्रम चला, जिसमें रोज नए-नए विषयों का वर्णन चला, जैसे सामायिक का महत्त्व, अर्हम् वंदना के बारे में जानकारी, तेरापंथ की मान्यता आदि-आदि। संवत्सरी महापर्व-सुबह सूर्योदय से 8 प्रहरी पौषध एवं प्रार्थना से महापर्व के दिवस की आराधना की शुरुआत हुई। दोपहर तक कार्यक्रम चला। महामंत्र के उच्चारण के बाद भूषण ने मंगलाचरण किया। मीना ने गीतिका का संगान किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने संवत्सरी पर एक्सन सॉन्ग प्रस्तुत किया। स्थानीय महिला मंडल की बहनों ने ‘सोलह सतियों’ पर संवाद प्रस्तुत किया।
उपासिका दमयंती ने भगवान महावीर के जीवन यात्रा का वर्णन करते हुए भगवान महावीर ने आज से 2600 वर्ष पूर्व उपसर्गों में कैसे समता भाव रखा, दास प्रथा का निर्मूलन एवं नारी उत्थान के महत्त्वपूर्ण सूत्र दिए। भगवान महावीर ने अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत के सूत्र दिए जो विश्व के सारी समस्याओं का निराकरण कर, विश्व शांति के श्रोत बन सकते हैं। उपासिका मीना ने गणधर परंपरा एवं साधना ने आचार्य परंपरा का वर्णन किया। संघगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। रात्रि में प्रतिक्रमण के पश्चात बच्चों एवं बहनों को गिफ्ट दिए गए एवं उपासक श्रेणी के मंगलभावना का क्रम भी चला। मैत्री दिवस पर सूर्योदय के साथ ही क्षमापना का कार्यक्रम संपन्न हुआ।