रूपांतरण एक्सप्रेस प्रतिक्रमण कार्यशाला
साहूकारपेट, चेन्नई।
तेरापंथ भवन में अभातेममं द्वारा निर्देशित एवं चेन्नई महिला मंडल द्वारा समायोजित ‘रूपांतरण एक्सप्रेस’ के अंतर्गत प्रतिक्रमण कार्यशाला में साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि जब मैत्री भाव उत्पन्न हो जाता है, तब प्राणी निर्भय बन जाता है। क्षमापना की यात्रा से मानसिक प्रसन्नता-रूपी लक्ष्य की प्राप्ति होती है। हमारे शरीर में रोग-प्रतिरोधात्मक शक्ति होती है। यह सशक्त होती है तो नकारात्मक और अधैर्य, अक्षमा की भावना कम होती चली जाती है। समाधान की भावना पुष्ट होनी चाहिए। एक-दूसरे को क्षमादान देने से अव्यक्त आनंद की अनुभूति होती है।
साध्वीश्री जी ने कहा कि क्षमा का अर्थ हैµसहनशीलता का विकास। जिस परिवार, समाज में सहिष्णुता होती है वहाँ सतत आनंद का प्रवाह बहता है। पारस्परिक व्यवहार में ईर्ष्या की भावना न हो। संशय की चेतना न हो। जीवन में अभाव देखने की वृत्ति को स्थान न दें। हर व्यक्ति को करणीय और अकरणीय का विवेक रखना चाहिए। कार्यक्रम का आरंभ महिला मंडल के प्रेरणा गीत से हुआ। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा पुष्पा देवी हिरण ने स्वागत स्वर पेश किए। धन्यवाद ज्ञापन सहमंत्री कंचन भंडारी ने दिया।