भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन
फरीदाबाद
साध्वी शुभप्रभा जी के सान्निध्य में ‘भिक्षु चरमोत्सव’ का कार्यक्रम आयोजित किया गया। ‘- भिक्षु का सामूहिक जप के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ। साध्वीश्री जी ने कहा कि श्रीमद् जयाचार्य ने तीन महोत्सव दिए, जिसमें एक चरमोत्सव भी है। जब भी स्वामीजी का नाम जुबाँ पर आता है, श्रद्धा से मस्तक झुक जाता है। वे पुरुषार्थी थे, वे परम साधक थे, वे निष्प्रकंप थे, अभीत थे। परम साधक वह होता है जो संघर्षों की आग को हँसते-हँसते झेलता है तथा सत्य के साँचे में ढलना जानता है।
आचार्य भिक्षु जब वैरागी बने, दीक्षा भावना जागी तब वे अनेक साधुओं से मिले, चर्चा की। वहाँ की क्रियाएँ सूक्ष्मता से देखीं। आचार-व्यवहार को परखा। तत्पश्चात आचार्यश्री रघुनाथ के पास दीक्षित हुए। उनके पास श्रुताराधना व आत्माराधना करते रहे। साध्वी कांतयशा जी ने गीत का संगान किया। साध्वी अनन्यप्रभा जी ने विचार प्रस्तुत किए। पद्मा गोलछा ने गीत का संगान किया। रात्रि में ‘आज की शाम भिक्षु के नाम’ धम्म जागरण का क्रम चला, जिसमें अनेक जनों ने उपस्थिति दर्ज कराई। साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया।