भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन
भीलवाड़ा
तेरापंथ भवन, नागौरी गार्डन में आचार्य भिक्षु का 220वाँ चरमोत्सव साध्वी डॉ0 परमयशा जी के सान्निध्य में आयोजित हुआ। इस अवसर पर साध्वी परमयशा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु का जीवन विशिष्टताओं का समवाय है। उनकी आचार-विचार, निष्ठा बेजोड़ थी। छोटी-सी खामी भी उन्हें बर्दाश्त नहीं होती थी। आचार्य भिक्षु शांति, धृति और शक्ति के साथ भक्ति पथ की क्रांति करने वाले विरले व्यक्तित्व थे। उन्होंने अच्छा साधुपन पाला, आकांक्षा इच्छाओं से परे अंतिम समय में निर्लिप्तजीवी जीते हुए संथारा संलेखना से अपना मृत्यु का वरण करते हुए जीवन का उपसंहार किया।
तेममं के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। साध्वी मुक्ताप्रभा जी ने आचार्य भिक्षु के बारे में कहा कि उनका जीवन ओजस्वी, तेजस्वी, वर्चस्वी रहा। गुणों का अक्षय भंडार थे भिक्षु, उपशांत कषाय वाला जीवन जीकर उन्होंने वो सबके अनुकरणीय बन गए। तेममं अध्यक्षा मीना बाबेल, लक्ष्मीलाल झाबक, टीपीएफ अध्यक्ष राकेश सुतरिया, उपासक सुरेश बोरदिया, मुकेश रांका, सुरेश चोरड़िया, साध्वी कुमुदप्रभा जी के पिता कमल दुगड़, कमला देवी सिरोहिया, ममता बोथरा, प्रेम देवी नौलखा, मैना कांठेड़, विमला रांका, नीलम लोढ़ाµइन सभी ने गीतिकाओं एवं वक्तव्य द्वारा तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य प्रणेता भिक्षु स्वामी को श्रद्धांजलि समर्पित की। मीडिया प्रभारी नीलम लोढ़ा ने बताया कि तेममं की बहनों ने भिक्षु चरमोत्सव पर अपनी रोचक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन अणुव्रत समिति अध्यक्ष आनंद बाला टोडरवाल ने किया। आभार ज्ञापन सभा मंत्री योगेश चोरड़िया ने किया।