भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन

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भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन

जसोल
आचार्यश्री भिक्षु का 220वाँ चरमोत्सव दिवस शासनश्री साध्वी सत्यप्रभा जी के सान्निध्य में पुराना ओसवाल भवन में मनाया गया। शासनश्री साध्वी सत्यप्रभा जी ने कहा कि शिथिलाचार के विरुद्ध साहसिक कदम हैµतेरापंथ। सत्य की आराधना के लिए सुख, सम्मान और सुविधाओं के बलिदान की कहानी है यह तेरापंथ। आचार्यश्री भिक्षु की कहानी को जब आज भी सुनते हैं, सुनाते हैं रोम-रोम फड़क उठता है। कितनी बाधाएँ आई, पर नहीं तनिक विचलित हुए। दृढ़ निश्चय से बढ़े चले वे, सिद्धांतों पर अडिग रहे। साध्वी ध्यानप्रभाजी, साध्वी श्रुतप्रभाजी, साध्वी यशस्वीप्रभा जी ने आचार्य भिक्षु पर कविता, मुक्तक, कहानी और प्रेरणा पाथेय प्रदान किया।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण विमला देवी वोहरा द्वारा गीतिका से हुआ। स्वागत गीतिका चाँदनी वडेरा ने प्रस्तुत की। तेरापंथ महिला मंडल द्वारा सामूहिक गीतिका का संगान किया गया। कार्यक्रम में सभा अध्यक्ष उषभराज तातेड़, शंकरलाल ढेलड़िया, संपतराज चोपड़ा, माणकचंद संखलेचा, सुरेश डोसी, कांतिलाल ढेलड़िया, उपासिका मोहिनी देवी संखलेचा सहित प्रबुद्ध वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री कांतिलाल ढेलड़िया ने किया।