भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन
वसई (मुंबई)
साध्वी प्रज्ञाश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथ के प्रांगण में आचार्यश्री भिक्षु स्वामी का 220वाँ चरमोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र एवं नालासोपारा महिला मंडल के मंगलाचरण द्वारा हुई। साध्वी विनयप्रभा जी व साध्वी प्रतीकप्रभा जी द्वारा गीतिका प्रस्तुत की गई। साध्वी सरलप्रभा जी ने स्वामी जी के जीवन के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। साध्वी प्रज्ञाश्री जी ने कहा कि स्वामीजी का जीवन एक पुस्तक के समान था, जो पुस्तक सत्य की प्रतीक थी, जो नदी के समान एक जैसा जीवन जिया, समुंद्र की तरह गहरा था। स्वामी जी अपना काम स्वयं करते थे। हमेशा धर्मसंघ की साधना करते रहे, साध्वीश्री जी ने विस्तारपूर्वक बताया। सभा अध्यक्ष प्रकाश संचेती, मोहनलाल गुंदेचा, नालासोपारा से सभा अध्यक्ष लक्ष्मीलाल मेहता, उपाध्यक्ष रमेश ढालावत, मंजु संचेती, निशा डांगी, करुणा कोठारी, दिव्या मेहता, वनिता सोलंकी, लक्ष्मी मेहता, मीना ढालावत, सभा, महिला मंडल, तेयुप, कन्या मंडल, किशोर मंडल व पूरे समाज की उपस्थिति रही। संचालन सुनीता हिरण ने किया।