ज्ञानशाला प्रकोष्ठ राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

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ज्ञानशाला प्रकोष्ठ राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

सूरत।
ज्ञानशाला के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि उदित कुमार जी के सान्निध्य में व संस्था शिरोमणि जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा ज्ञानशाला प्रकोष्ठ के तत्त्वावधान में तेरापंथी सभा के प्रबंधन में ज्ञानशाला प्रकोष्ठ राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ भवन, सिटीलाइट में हुआ। उद्घाटन सत्र में मुनिश्री ने ज्ञानशाला उपक्रम की जानकारी दी व उसके महत्त्व को बताते हुए कहा कि इमारत की मजबूती जिस तरह पिलर के ऊपर निर्भर करती है, वैसे ही ज्ञानशाला के उपक्रम से जुड़े हुए हर कार्यकर्ता व प्रशिक्षक का महत्त्व है और यही कार्यकर्ता आने वाली पीढ़ी की नींव को मजबूती प्रदान करते हैं।
इस कार्यशाला का उद्देश्य नीति-नियमों पर चिंतन-मंथन कर उसे कैसे क्रियान्वित किया जाए? कैसे कार्यों का नियोजन किया जाए? कार्य में हमारी भूमिका और जवाबदारी को समझकर एक निर्णायक रोल को निभाया जाए। मंगलाचरण ज्ञानशाला प्रशिक्षक द्वारा किया गया। तेरापंथी सभा अध्यक्ष नरपत कोचर ने सभी का स्वागत किया।
ज्ञानशाला के राष्ट्रीय संयोजक सोहनराज चोपड़ा ने अपना वक्तव्य दिया व ज्ञानशाला के संचालन दायित्व आदि की जानकारी दी। इस अवसर पर डालम नौलखा, निर्मल नौलखा, मधु देरासरिया, अभातेममं महामंत्री, गुजरात आंचलिक संयोजक प्रवीण मेड़तवाल, तेममं अध्यक्ष राखी बैद, मंत्री तेयुप अभिनंदन गादिया ने विचार व्यक्त किए। मंच संचालन सभा के पूर्व अध्यक्ष व कार्यक्रम संयोजक हरीश जैन द्वारा किया गया। तत्पश्चात परिचय सत्र चला, जिसमें 17 अंचल से पधारे संभागियों, आंचलिक संयोजक, आंचलिक सह-संयोजक के साथ-साथ विशेष आमंत्रित सदस्य, केंद्रीय समिति सदस्य ने अपना परिचय दिया।
द्वितीय सत्र में कई बिंदुओं पर चिंतन चला। मुनिश्री ने कहा कि ज्ञानशाला नेटवर्क, ज्ञानशाला प्रशिक्षक और ज्ञानार्थियों का उपयोग केंद्रीय प्रारूप और परिपत्र में निर्दिष्ट नियमों अनुसार होना चाहिए। जिस समय ज्ञानशालाओं की स्वतंत्र प्रस्तुति हो वहाँ ज्ञानशाला की ड्रेस का उपयोग हो। ज्ञानशाला समय में ज्ञानशाला का ही कार्य हो।सोहनराज चौपड़ा ने कहा कि स्थानीय स्तर की कोई भी जानकारी प्राप्त करने व प्रेषण का कार्य आंचलिक संयोजक के माध्यम से ज्ञानशाला प्रकोष्ठ तक पहुँचे। स्थानीय रिपोर्ट आंचलिक संयोजक के माध्यम से केंद्र तक पहुँचे। राष्ट्रीय ज्ञानशाला शिविर प्रशिक्षक निर्मल नौलखा ने बताया कि ज्ञानशाला का 2 घंटे का समय किसी भी गतिविधि के लिए बाधित न हो और साथ-साथ एक्स्ट्रा एक्टिविज जो अध्यात्म से जुड़ी हुई हो जो कि ज्ञान का विकास करे, उसे किया जा सकता है।
तृतीय सत्रµ आज के इस टेक्नोलॉजी के युग में हम ज्ञानशाला को कैसे आगे रखें? टेक्नोलॉजी के साथ ज्ञानार्थियों को कैसे बढ़ाया जाए? टेक्नोलॉजी द्वारा प्रशिक्षक कैसे अपने ज्ञान में वृद्धि करें, ज्ञानशाला प्रबंधन में टेक्नोलॉजी के साथ कार्य को कैसे सरल बनाएँ आदि विषयों पर जानकारी प्रस्तुत की गई। दीपक डागलिया, प्रवीण मेड़तवाल, वर्षा जैन, रितु धोका और सोनू पितलिया ने Gyanshala Google, Gyanshala help, Gyanshala App ।चच में एसएसबी की बुक्स, पुराने प्रश्न-पत्र, बेसिक जानकारियाँ, एसएसबी पाठ्यक्रम को वीडियो के माध्यम से पढ़ना इस प्रकार की सारी जानकारी दी। अंतिम सत्रµ सभी अंचल के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने अंचल की रिपोर्ट प्रस्तुत की। आंचलिक संयोजकों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों के किए गए कार्यों से अवगत कराया। कई संयोजकों ने अपने क्षेत्रों की समस्याओं को रखा तथा समाधान पाया।
मुनिश्री ने कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जहाँ परिवारों की संख्या कम हो, जहाँ ज्ञानार्थियों की संख्या कम हो, जहाँ आने-जाने में सुविधा न हो, ऐसी जगह सह-ज्ञानशाला चलाकर बच्चों का विकास किया जाए। स्थानीय संयोजक और मुख्य प्रशिक्षिका की लिस्टमय विवरण अपडेट करके ज्ञानशाला प्रकोष्ठ ऑफिस में भेजी जाए।
द्वितीय दिवस: मुनिश्री के सान्निध्य में ज्ञानशाला राष्ट्रीय संयोजक सोहनराज चौपड़ा को जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा-ज्ञानशाला प्रकोष्ठ के ज्ञानशाला राष्ट्रीय संयोजक के रूप में दी जा रही निरंतर 25 वर्ष की सेवा के उपलक्ष्य में तेरापंथ सभा द्वारा मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया गया। ज्ञानशाला प्रकोष्ठ के केंद्रीय समिति सदस्य, मुंबई से समागत आंचलिक संयोजक व अन्य सदस्य, थली क्षेत्र के आंचलिक संयोजक द्वारा भी सम्मान किया गया।
इसके पूर्व केंद्रीय समिति सदस्या डॉ0 प्रो0 रत्ना कोठारी ने सोहनराज चौपड़ा का जीवन परिचय व ज्ञानशाला को दी जा रही सेवाओं व अतीत के पन्नों की जानकारी दी। प्रवचन पश्चात जिज्ञासा-समाधान सत्र चला। राष्ट्रीय संयोजक द्वारा जिज्ञासाओं का समाधान दिया गया। द्वितीय सत्र में दो दिन चली हुई कार्यशाला का चिंतन-मंथन कर ज्ञानशाला प्रबंधन के संदर्भ में अनेक प्रस्तावित निर्णय किए गए। मुनिश्री ने इन कार्यशालाओं का महत्त्व बताया। ई-ज्ञानशाला टीम की सदस्या कल्पना छाजेड़ ने ई-ज्ञानशाला की उपयोगिता बताते हुए खेल-खेल में बच्चों का ज्ञानार्जन कैसे हो इसकी जानकारी दी। ज्ञानशाला राष्ट्रीय संयोजक ने आभार ज्ञापित किया।
अंतिम सत्र में संभागियों ने अपने-अपने विचार रखे। तेरापंथी सभा द्वारा सभी संभागियों का सम्मान किया गया। सभा की तरफ से कार्यशाला संयोजक हरीश जैन और गुजरात अंचल के संयोजक प्रवीण मेड़तवाल द्वारा आभार ज्ञापन किया गया।