अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का आयोजन

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अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का आयोजन

जाटाबास, जोधपुर।
शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी के सान्निध्य एवं अणुव्रत समिति के तत्त्वावधान में तेरापंथ भवन में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का शुभारंभ साध्वीश्री जी के नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से हुआ। अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के प्रथम दिवस सांप्रदायिक सौहार्द के अवसर पर साध्वीश्री जी ने कहा कि अणुव्रत का मंच सभी धर्म-संप्रदायों के समन्वय का मंच है। सौहार्द प्रेमी, मैत्री भावना का मंच है। इसके साथ हिंदु, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आदि विश्वास के साथ जुड़े हुए हैं। सभी धर्मों में मानव धर्म की बात कही गई है।
जीवन-विज्ञान दिवस पर साध्वी कुंथुश्री जी ने कहा कि जीवन-विज्ञान स्वस्थ समाज का दर्पण है। स्वस्थ जीवनशैली का प्रशिक्षण है। सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास का नाम है-जीवन-विज्ञान। जीवन-विज्ञान व्यक्तित्व विकास में अभ्यास और प्रयोग दोनों का संतुलन अवतरण अपेक्षित है। आवेश और आवेग पर नियंत्रण सिखाता है जीवन-विज्ञान। नियंत्रण की शक्ति हमारी सोच को, चिंतन को सकारात्मक बनाती है।
प्रेरणा दिवस पर साध्वीश्री जी ने कहा कि अणुव्रत यानी छोटे-छोटे व्रत। एक छोटे से वाक्य में इसका अर्थ है चरित्र विकास के लिए किए जाने वाले संकल्प का नाम है-अणुव्रत। एक छोटा-सा अंकुश हाथी को वश में कर सकता है, एक छोटा सा दीपक सघन अंधकार को नष्ट कर सकता है, एक छोटा सा वज्र पत्थर को चकनाचूर कर सकता है तो अणुव्रत क्या नहीं कर सकता। अणुव्रत मानव में प्राण फूँक देता है। अशांत विश्व को शांति का संदेश देता है।
कार्यक्रम का प्रारंभ मंगलाचरण से साध्वी शिक्षाप्रभा जी द्वारा किया गया। अणुव्रत समिति मंत्री शर्मिला भंसाली द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। समूह अणुव्रत गीत गायन प्रतियोगिता का कार्यक्रम रहा। जिसमें सभी स्कूलों द्वारा सुंदर मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी गई। जिसमें प्रथम स्थान पर सुमेर पुष्टिकर स्कूल, द्वितीय स्थान पर राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक स्कूल और तृतीय स्थान पर बाल विद्या मंदिर पब्लिक स्कूल हिंदी मीडियम रही। प्रतियोगिता के निर्णायक की भूमिका गोविंद राज पुरोहित और मधुर गायक कमल सुराणा रहे। आभार अणुव्रत समिति के भूतपूर्व अध्यक्ष गोविंद राज पुरोहित द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन मितेश जैन ने किया। पर्यावरण शुद्धि पर साध्वीश्री जी ने कहा कि आज पूरे विश्व में पर्यावरण की चर्चा चल रही है। आदमी भीतर का पर्यावरण स्वस्थ नहीं है और बाहर का पर्यावरण भी अगर अच्छा नहीं होगा तो हिंसा और महत्त्वाकांक्षा बढ़ती ही जाएगी। ऐसे प्रदूषण को रोकने का एकमात्र साधन है-अणुव्रत। साध्वीश्री जी ने बच्चों को पानी के संयम, नशामुक्ति और पेड़ों को न काटने का संकल्प करवाया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मर्यादा कुमार कोठारी ने कहा कि अणुव्रत पूरे विश्व में शांति और स्वच्छता को स्थापित कर सकता है। गोविंद राज पुरोहित ने सभी का आभार ज्ञापित किया। शर्मिला भंसाली ने कार्यक्रम का संचालन किया। स्कूली बच्चों के बीच चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का विषय था-‘पर्यावरण का संरक्षण दायित्व हमारा हर क्षण’। चित्रकला प्रतियोगिता में विभिन्न स्कूलों के 45 बच्चों ने भाग लिया। सुमेर पुष्टिकर स्कूल, राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, सिवांची गेट, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अल्प भाषा राज महल थे। साथ ही साध्वी सुमंगलाश्री जी ने मंगलाचरण गीत के द्वारा किया।
पाँचवाँ दिन नशामुक्ति दिवस पर साध्वीश्री जी ने कहा कि नशा नाश का द्वार है। विनाश का कारण है, बुराइयों की जड़, परिवार में झगड़े आदि अनेक कुपरिणाम सामने आते हैं। अपराधी मनोवृत्ति का जन्म यहीं से होता है। नशा इंसान क्यों करता है? प्रारंभ में वह शोक से या संगत से या तनाव मुक्ति के लिए करता है। कारण चाहे कुछ भी हो नशा जो नशीली वस्तुएँ होती हैं। वे दरअसल उत्तेजक मादक होती हैं। जीवन को बरबाद कर देती हैं। आदमी अनेक घातक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। दृढ़-संकल्प, अणुव्रत के नियम एवं योग साधना से बुरी आदतों से छुटकारा पाया जा सकता है। प्रत्येक इंसान व्यसनमुक्त बने, यह अणुव्रत का अभियान है।
अनुशासन दिवस पर साध्वीश्री जी ने कहा कि जीवन विकास के अनेक घटक हैं। इसमें एक महत्त्वपूर्ण बिंदु है-अनुशासन। जहाँ समूह होगा, वहाँ अनुशासन की अपेक्षा होती है। अनुशासन जीवन की कला है। सामूहिक जीवन में अनुशासन की अनिवार्यता है। अनुशासन का प्रारंभ स्वयं से करना चाहिए, गुरुदेवश्री तुलसी का नारा है-‘निज पर शासन फिर अनुशासन’।
सातवें दिन अहिंसा दिवस पर साध्वी कुंथुश्री जी ने कहा कि सब जीव जीना चाहते हैं। अतः किसी को दुखी मत करो, पीड़ित मत करो, हनन मत करो, शासन मत करो। यह भगवान महावीर का अहिंसा धर्म है। प्राणों का अतिपात करना ही हिंसा नहीं है। किसी भी प्राणी को कष्ट पहुँचाना भी हिंसा है। मन, वचन, काया से संक्लेशन न देना अहिंसा है। महात्मा गांधी के जीवन में अहिंसा दिग्दर्शन था। उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में अहिंसा का प्रयोग किया। गांधी जी का जन्म दिन एवं अहिंसा दिवस के उपलक्ष्य में हर इंसान यह प्रेरणा ले, हम अनावश्यक हिंसा नहीं करेंगे। अपने जीवन में अहिंसा का विकास करेंगे। तेरापंथी सभा अध्यक्ष पन्नालाल कागोत, तेयुप मितेश जैन, अणुव्रत समिति के पदाधिकारीगण ने अपने विचार प्रस्तुत किए।