
साध्वी धर्मयशाजी की स्मृति सभा
भीलवाड़ा।
साध्वी धर्मयशा जी की स्मृति सभा साध्वी डॉ0 परमयशा जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में आयोजित की गई। स्मृति सभा में साध्वी परमयशा जी ने कहा कि साध्वी धर्मयशा जी ने आत्मा से परमात्मा, लघु से विराट, स्थूल से सूक्ष्म जगत की ओर प्रवेश, नर से नारायण बनने एवं अखंड शाश्वत सत्य को प्राप्त करने की दिशा में आपके कदम सदैव आगे बढ़ते रहे। आचार-विचार, निष्ठा में आप बेमिसाल थी। गुरुदृष्टि की आराधना में सतत सावधान रहती थी। आपके सुरों के जादू एवं करिश्माई गीतों से लोक चेतना को मंत्रमुग्ध बनाया। आप उन्नत एवं प्रशस्त जीवन जीते हुए तेरापंथ इतिहास में अमर हो गए। साध्वी धर्मयशा जी एवं मैं संसारपक्षीय बहनें थीं, जिन्होंने एक साथ दीक्षा ग्रहण की। हम संयुक्त परिवार से थे। गोलछा गोत्र में हम दोनों ने बीदासर की धरती पर जन्म लिया। आप मृदु, सरल स्वभाव एवं संघ समर्पित साध्वी थी, जो हर कला में निष्णात थी। आपके ऊपर वर्तमान आचार्य महाश्रमण जी की अच्छी कृपादृष्टि थी।
अंतिम समय में आपने आचार्यों, गुरुओं को अंतमन से वंदन करते हुए संलेखना ली और अपने जीवन का कल्याण किया। आपकी दिव्यता, भव्यता, नियम और आगम निष्ठा हमेशा याद आती रहेगी। संघ में एक अच्छी साध्वी की कमी हो गई। वे अजर, अमर, अक्षय, अव्यय बनें एवं मोक्ष की मंजिल को प्राप्त करें, ऐसी मनोकामना आपने की। साध्वी मुक्ताप्रभा जी ने आपके जीवन-वृत्त की अनेक विशेषताओं का उल्लेख किया। साध्वी कुमुदप्रभा जी ने कहा कि आपने उच्च आध्यात्मिक जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। सभा अध्यक्ष जसराज चोरड़िया, महिला मंडल अध्यक्षा मीना बाबेल, वरिष्ठ श्रावक नवरतनमल झाबक, उपासक सुरेश बोरदिया, मदनलाल रांका, पुष्पा पामेचा इन सभी ने दिवंगत साध्वीश्री के प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की। मीडिया प्रभारी नीलम लोढ़ा ने बताया कि साध्वीवृंद्ध ने गीत का सामूहिक संगान किया। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री योेगश चंडालिया ने किया।