ज्ञानदीप प्रतियोगिता का आयोजन
कांटाबाजी।
मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में मुनि कुमुद कुमार जी द्वारा ज्ञानदीप प्रतियोगिता तेयुप के तत्त्वावधान में छः चरण में आयोजित की गई। मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि स्वाध्याय हमारे ज्ञान को प्राप्त करने एवं बढ़ाने का माध्यम है। अज्ञानी रूपी अंधेरे को स्वाध्याय ही दूर करता है। भारतीय साहित्य सद्शिक्षा का भंडार है। तीर्थंकर भाषित एवं ऋषि, मुनि, गृहस्थ साधकों ने भी अपनी लेखनी के द्वारा विश्व को ज्ञान रूपी अमृत दिया है। ज्ञानदीप प्रतियोगिता के माध्यम से जो ज्ञान प्राप्त किया है उसका पुनरावर्तन होता रहे। अर्पित ज्ञान को बढ़ाने के साथ दूसरों को बाँटने का प्रयत्न करें। स्वाध्याय से अनेक जिज्ञासाओं का समाधान हो जाता है। अज्ञान रूपी अंधेरे को गुरु दूर कर देते हैं। मुनि कुमुद कुमार जी ने ज्ञान के विकास के लिए सुंदर उपक्रम चला।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि आठ कर्म हमारे आत्मविकास के लिए घातक हैं। मोक्ष प्राप्ति के लिए इन कर्मों का क्षय होना जरूरी है। पहला कर्म ज्ञानावरणीय है जो ज्ञान प्राप्ति में बाधक बनता है। ज्ञानावरणीय कर्म को दूर करने के लिए अधिक से अधिक स्वाध्याय करना चाहिए। ज्ञान एवं ज्ञानी की आशातना से बचना चाहिए। ज्ञानदीप प्रतियोगिता में दर्शन, इतिहास, तत्त्व, तेरापंथ धर्मसंघ के साथ सामान्य ज्ञान का भी समावेश किया गया।
मीडिया प्रभारी अविनाश जेन ने बताया कि मुनि कुमुद कुमार जी द्वारा प्रस्तुत ज्ञानदीप प्रतियोगिता छः चरण में आयोजित हुई। प्रत्येक चरण में प्रथम, द्वितीय, तृतीय विजेता को तेयुप ने सम्मानित किया। तेयुप अध्यक्ष अंकित जैन ने प्रायोजक शाखा प्रभारी गौतम बेलपाड़ा का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में नवनीत जैन, दीपक जैन, अंकित जैन, गौरव जैन, ऋषभ के0 जैन का योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन अंकित जैन एवं ऋषभ जैन ने किया।