पारिवारिक सौहार्द अनुष्ठान का आयोजन
विशाखापट्टनम्।
मुनि दीप कुमार जी के सान्निध्य में ‘पारिवारिक सौहार्द अनुष्ठान’ और ‘पारिवारिक सौहार्द’ विषय पर मुनिश्री का प्रवचन हुआ। प्रारंभ में मुनिश्री ने चयनित मंत्रों द्वारा ‘पारिवारिक सौहार्द अनुष्ठान’ करवाया, जिससे तेरापंथ भवन आध्यात्मिक मंत्रों से गूँज उठा। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि जहाँ सौहार्द रहता है वह परिवार धरती पर स्वर्ग समान बनता है। जहाँ प्रेम है वहाँ यश, धन आदि अपने आप आते हैं। सास-बहू में विनय और वात्सल्य का व्यवहार रहे। माता-पिता के प्रति संतान सम्मान दे। वृद्ध हो भले लेकिन उनके पास अनुभवों का खजाना होता है। पति-पत्नी एक-दूसरे को सहन करें, विश्वास रखें, धन्यवाद का भाव रखें तो दाम्पत्य जीवन शांतिपूर्ण बन सकता है। मुनिश्री ने आगे कहा कि बच्चों को सत् संस्कार जरूर दें। संस्कार ही विरासत है। आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं। मुनि काव्य कुमार जी ने कहा कि पारिवारिक सौहार्द के लिए वाणी संयम और सहिष्णुता का अभ्यास बहुत जरूरी है। बिना वाणी संयम और सहिष्णुता के पारिवारिक सौहार्द संभव ही नहीं।