जन-जन की आस्था का केंद्र - साधना का प्रज्ञापीठ
जयपुर।
श्रीमद् जयाचार्य जी का 142वाँ निर्वाण दिवस तेयुप के तत्त्वावधान में रामनिवास बाग स्थित साधना का प्रज्ञापीठ पर साध्वीवृंद के सान्निध्य एवं अर्चना शर्मा व अभातेयुप के संगठन मंत्री श्रेयांस गोठारी की उपस्थिति में मनाया गया। परिषद के अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा ने इस अवसर पर पधारे हुए सभी अतिथियों व महानुभावों का परिषद परिवार की ओर से स्वागत किया। साध्वी समितप्रभा जी ने गीतिका के माध्यम से श्रीमद् जयाचार्य जी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अध्यात्म के क्षेत्र में उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना कर एक कीर्तिमान स्थापित किया था।
साध्वी विदितप्रभा जी ने कविता के माध्यम से बताया कि तेरापंथ धर्मसंघ के चतुर्थ आचार्य सिद्ध योग साधक, विविध विधाओं में लकीर से हटकर लिखने वाले साहित्यकार, विकास के प्रकाश श्रीमद् जयाचार्य जी ने शिक्षा के क्षेत्र में, तकनीकी क्षेत्र में, अध्यात्म के क्षेत्र में, विज्ञान के क्षेत्र में अनेकों अवदान प्रदान करते हुए जन-जन को अनुशासन एवं मर्यादा का पाठ पढ़ाया है। साध्वी मधुलेखा जी ने कहा कि ‘निज पर शासन फिर अनुशासन’ का अनुसरण किया जाए तो विश्व की अनेक समस्याओं का समाधान स्वयं के आत्ममंथन करने से मिल सकता है।
साध्वी शीलयशा जी ने कहा कि संत जयाचार्य जी आचार्य परंपरा के अनुसार जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य थे, पर उनके द्वारा बताया गया मर्यादा और अनुशासन का पाठ जन-जन के लिए जीवन का आधार स्तंभ है और रहेगा। अभातेयुप के संगठन मंत्री श्रेयांस कोठारी ने कहा कि मर्यादा तेरापंथ का प्राण तत्त्व है। जयपुर और जयाचार्य जी के नाम में जय है और देखा जाए तो तेयुप जयपुर के कार्यों की चारों तरफ जय-जयकार हो रही है। कार्यक्रम के प्रायोजक ओमप्रकाश जैन ने कहा कि सन् 1991 से श्रीमद् जयाचार्य जी के महाप्रयाण दिवस पर श्रद्धांजलि समारोह आयोजित होते हुए आज 32 साल हो गए। श्रीमद् जयाचार्य बहुत ही प्रभावक आचार्य हुए थे, उन्होंने अपने जीवन काल में साढ़े तीन लाख पद्य परिमाण साहित्य की रचना की थी।
समाज कल्याण बोर्ड, राजस्थान सरकार से अर्चना शर्मा ने कहा कि इस देश में अनेकों महापुरुष ऐसे हुए हैं जिन्होंने देश को शिक्षा के क्षेत्र में, तकनीकी के क्षेत्र में, अध्यात्म के क्षेत्र में, विज्ञान के क्षेत्र में अनेकों अवदान दिए हैं, पर ऐसे संत भी हमारे देश में हुए हैं, जिन्होंने अनुशासन और मर्यादा का पाठ भी प्रस्तुत किया है। श्रीमद् जयाचार्य जी की निर्वाण स्थली साधना का प्रज्ञापीठ जो कि राजस्थान की हृदय स्थली रामनिवास बाग में स्थित है, वह आज जन-सामान्य को मानवता का संदेश दे रही है।
परिषद के मंत्री अविनाश छाजेड़ ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ तेयुप सदस्यों द्वारा विजय गीत के संगान से हुआ। महिला मंडल ने गीतिका का संगान किया। समारोह में तेरापंथी सभा के अध्यक्ष डॉ0 नरेश मेहता, कार्यक्रम के प्रायोजक ओमप्रकाश जैन, तेयुप अध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा, महिला मंडल आदि ने वक्तव्य एवं गीत के माध्यम से श्रीमद् जयाचार्य जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक सिद्धार्थ गधैया, श्रीकांत बोरड़, सौरभ पटावरी, सह-संयोजक हेमंत दस्सानी, अंकित घोड़ावत, रिषभ जैन सहित परिषद के सभी कार्यकताओं का श्रम उल्लेखनीय रहा। कार्यक्रम का संचालन सिद्धार्थ गधैया व श्रीकांत बोरड़ ने किया। प्रायोजक बाबूलाल राजेश कुमार छाजेड़ परिवार एवं अतिथियों का मोमेंटो व साहित्य भेंट कर परिषद के द्वारा सम्मान किया गया।