गुरुओं की कल्याणकारी वाणी का संरक्षण करती है-अमृतवाणी: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

गुरुओं की कल्याणकारी वाणी का संरक्षण करती है-अमृतवाणी: आचार्यश्री महाश्रमण

सद्गुण रूपी आभूषणों से अपने जीवन को शोभायमान कर: आचार्यश्री महाश्रमण
अमृतवाणी के वार्षिक अधिवेशन का आयोजन

ताल छापर, 10 अक्टूबर, 2022
जिन शासन के प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी ने प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि सुंदर होना और सुंदर दिखना इन दोनों बातों में कुछ अंतर हो सकता है। सुंदरता बाहर से तो दिखती है, पर वास्तव में भीतर से कितना सुंदर है, वह अलग बात है। अध्यात्म की दृष्टि से देखें तो ये आभूषण भी एक प्रकार का भार है। बाहर के आभूषण पहनें या न पहलें पर भीतर के भूषण पहनें। सद्गुण रूपी भूषण हम धारण कर अपने आपको शोभायमान करें। हाथ का आभूषण है-दान करना। भावना से दान दें। गुरु को नमन करना सिर का भूषण है। दान की वृत्ति औदार्य की द्योतक है। मुँह का आभूषण है-सत्य भाषा बोलना। कान का सद्गुण भूषण है-श्रुत-आर्ष वाणी सुनो। ज्ञान ग्रहण करें। कई गृहस्थों के धार्मिक ज्ञान की चेतना अच्छी होती है। हृदय का भूषण है-सरलता रखना। भुजाओं का भूषण पौरुष है। उसका बढ़िया उपयोग हो। सद्गुण बिना पैसे के आभूषण है, जो हमारे जीवन में रह सकते हैं। जीवन को शोभायमान कर सकते हैं। बाहरी आभूषणों के तो पैसे खर्च करने पड़ते हैं। पुण्य बल का अच्छा योग तो शरीर बिना बाहरी आभूषण के भी सुंदर लग सकता है।
पूज्यप्रवर ने कालू यशोविलास का सुमधुर विवेचन किया। पूज्य कालूगणी करुणावान थे तो अनुशासन भी कड़क करवाते थे। सुशीला सुराणा ने पूज्यप्रवर से 101 की तपस्या के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। आज इनके 91 की तपस्या है। ये सुजानगढ़ के मोहनलाल सुराणा की धर्मपत्नी हैं। अमृतवाणी गुरुदेव की देशना को देश-विदेश में, घर-घर पहुँचा रही है। अमृतवाणी के अध्यक्ष प्रकाश बैद ने पूज्यप्रवर की सन्निधि में मंचीय कार्यक्रम के अंतर्गत अपनी भावना अभिव्यक्त की। अमृतवाणी सन् 1978 में पूर्वाचार्यों एवं वर्तमान आचार्यप्रवर की अमृतवाणी को जन-जन तक पहुँचा रही है। महामंत्री अशोक पारख ने भी अपनी भावना की अभिव्यक्ति दी। प्रसारण सहयोगियों का सम्मान किया गया।
पूज्यप्रवर ने फरमाया कि वाणी का अपना सामर्थ्य होता है। वाणी के द्वारा दुखी आदमी को सुखी बनाया जा सकता है। आध्यात्मिक, जीवनोपयोगी व कल्याणाी वाणी से एवं गुरुओं और साधुओं की वाणी से आत्मकल्याण हो सकता है। वाणी का संरक्षण करने वाला अमृतवाणी उपक्रम है, जो गुरुदेव तुलसी के समय से ये कार्य हो रहा है। पूज्यप्रवरों के प्रवचन सुरक्षित हैं। वाणी का संप्रसारण भी हो रहा है। अमृतवाणी खूब आध्यात्मिक, धार्मिक कार्य करती रहे। मनोज चौपड़ा (बायतू) ने बायतू मर्यादा महोत्सव आमंत्रण गीत की प्रस्तुति दी। संजय-वनीता भानावत, पंकज धारीवाल, मिनाक्षी भूतोड़िया ने गीत की प्रस्तुति दी।