रूपांतरण शिल्पशाला-क्षमा कार्यशाला
अमराईवाड़ी।
अभातेममं के निर्देशन में तेममं द्वारा रूपांतरण थ्रू जैनिज्म शिल्पशाला का आयोजन शासनश्री साध्वी सरस्वती जी के सान्निध्य में किया गया। जिसका विषय था-क्षमा। कार्यशाला की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से साध्वीश्री जी ने करवाई। महिला मंडल की बहनों ने प्रेरणा गीत के द्वारा मंगलाचरण किया। अध्यक्षा संगीता सिंघवी ने कार्यशाला में उपस्थित स्थानकवासी समाज एवं तेरापंथी समाज के सभी श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत किया।
शासनश्री साध्वी सरस्वती जी ने कहा कि क्षमा वीरों का आभूषण है। जो व्यक्ति शूरवीर होता है वही क्षमा माँग सकता है और क्षमा प्रदान कर सकता है। साध्वी संवेगप्रभा जी ने कहा कि क्षमा करने से मानसिक पवित्रता का विकास होता है और पवित्र मन से सभी के प्रति मैत्री के भाव पैदा होते हैं। भगवान महावीर, गजसुकुमाल, महासती सीता आदि अनेक क्षमासुरों के जीवन प्रसंग द्वारा क्षमा के महत्त्व को समझाया। साध्वी तरुणप्रभा जी ने तथा साध्वी परमार्थप्रभा जी ने कविता के द्वारा प्रेरणा दी। कार्यक्रम में स्थानकवासी समाज के श्रावक-श्राविकाओं सहित सभा, तेयुप, महिला मंडल की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन मंत्री लक्ष्मी सिसोदिया ने किया तथा आभार ज्ञापन सहमंत्री हिना पगारिया ने किया। लगभग 50 भाई-बहनों की उपस्थिति रही।