आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन

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आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन

विवेक विहार, दिल्ली
ओसवाल भवन में आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन में शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने इस तेरापंथ धर्मसंघ को खून और पसीने का अभिसिंचन दिया है। तभी यह शताब्दियों के बाद भी सरसब्ज बना हुआ है। लाखों-लाखों व्यक्तियों को शीतल छाया प्रदान कर रहा है। आचार्य भिक्षु अपने लक्ष्य के प्रति सतत गतिमान रहे। समागत संघर्षों को हँसते-हँसते झेलते रहे। प्रत्येक संप्रदाय के व्यक्ति तेरापंथ संप्रदाय को आगे बढ़ने से रोक रहे थे। शासनश्री साध्वी सुव्रता जी ने भिक्षु नाम एक चमत्कार के संदर्भ में भावाभिव्यक्ति दी। शासनश्री साध्वी सुमनप्रभा जी ने भिक्षु जीवन प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने मंगलवार को जन्म लिया और मंगलवार को ही स्वर्गारोहण किया, इसलिए तेरापंथ संघ में मंगल ही मंगल है। साध्वी चिंतनप्रभा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु की महानता का महामंत्र था, उन्होंने विरोध को विनोद समझा। विष को अमृत में और अंधकार को प्रकाश में बदला। संघर्षों को हँसते-हँसते झेला। कार्यक्रम का शुभारंभ सुमन सिंघी ने किया। भानुप्रकाश बरड़िया, विकास नाहटा, धनपत सिंघी, सभामंत्री आनंद बुच्चा, मुदित चोरड़िया, गुलाब भंसाली ने भिक्षु चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का संचालन सभाध्यक्ष पन्नालाल बैद ने किया।