भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन

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भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन

मदनगंज, किशनगढ़
तेरापंथ भवन में आचार्य भिक्षु का 220वाँ भिक्षु चरमोत्सव त्याग, संयम, साधना के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मुनि चैतन्य कुमार ‘अमन’ ने कहा कि दुनिया में अनेक प्रकार की क्रांतियाँ होती रही हैं, किंतु आचार्य भिक्षु ने धर्म और सत्य की सुरक्षा के लिए क्रांति की ओर इसी का परिणाम है-तेरापंथ। आज जो तेरापंथ धर्मसंघ जैन धर्म का पर्याय बन रहा है उसमें आचार्य भिक्षु का बलिदान बोल रहा है। मुनि अमन कुमार जी ने कहा कि मारवाड़ का छोटा-सा गाँव सिरियारी, जहाँ 220 वर्ष पूर्व आचार्य भिक्षु ने बैठे-बैठे ही इच्छामृत्यु का वरण किया। वहाँ आज के दिन हजारों-हजारों की संख्या में देश के कोने-कोने से जैन-अजैन सभी उनकी समाधि पर अपनी श्रद्धा की अभिव्यक्ति व्यक्त करते हैं तथा जप, तप, उपवास आदि करते हैं।
मुनि सुबोध कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु कालजयी व्यक्तित्व के धनी थे। किशनगढ़ के साथ आचार्य भिक्षु का संबंध रहा है, लोग उसे भुला बैठे हैं। आचार्य भिक्षु किशनगढ़ में प्रवास से कुछ विरल घटनाएँ रही हैं। पूर्व रात्रि में धर्म जागरण करते हुए अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने भजनों का संगान करते हुए अपनी श्रद्धा की प्रस्तुति दी। पर्युषण के दौरान जिन्होंने तपस्या करी, उनको सम्मानित किया गया। प्रश्न-उत्तर कार्यक्रम में विशेष स्थान प्राप्त करने वालों को पुरस्कृत किया गया। सन् 2022 का ज्ञानशाला अवॉर्ड प्राप्तकर्ता ज्ञानार्थी जागृत गेलड़ा को विशेष सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संयोजन तेयुप मंत्री एवं महिला मंडल मंत्री करुणा जैन ने किया। ज्ञानशाला प्रभारी वंदना सुराणा, कुसुम घोड़ावत, जयश्री पींचा का विशेष सहयोग रहा।