भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन

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भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन

विशाखापट्टनम्
मुनि दीप कुमार जी के सान्निध्य में आचार्य भिक्षु का 220वाँ चरमोत्सव का आयोजन तेरापंथी सभा द्वारा किया गया। 24 घंटे का ‘-भिक्षु’ का अखंड जप भी प्रारंभ हुआ। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु आलोक पुंज, तेज पुंज थे। जब तक वे संसार में रहे, तब तक संसार को आलोकित करते रहे। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि स्वर्गवास के 219 वर्षों के पश्चात भी वे आलोक पुंज बने हुए हैं, जो उन्होंने ज्ञान रश्मियाँ बिखेरी, पंथ दिखलाया, वह सबको आलोक दिखा रहा है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि आचार्य भिक्षु आत्मार्थी महापुरुष थे। वे सब तरह की भौतिक एषणाओं से उपरत थे। उनका संपूर्ण जीवन महावीर वाणी पर समर्पित था। मुनिश्री ने जप अनुष्ठान भी कराया और स्वरचित गीत का संगान किया। बाल मुनि काव्य कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु महान क्रांतिकारी थे। उन्होंने बहुत कष्टों को सहन किया। बालमुनि ने गीत का संगान किया। कार्यक्रम में तेरापंथी महासभा के कार्यसमिति सदस्य विमल कुंडलिया ने गीत की प्रस्तुति दी।