प्रेक्षाध्यान योग शिविर का आयोजन
रोहिणी, दिल्ली।
प्रेक्षाध्यान योग शिविर के प्रारंभ में साध्वी कुंदनरेखा जी ने कहा कि गणाधिपति गुरुदेवश्री तुलसी के निर्देशन, आचार्य महाप्रज्ञ के अध्यात्म की गहराइयों से अनुस्यूत प्रेक्षाध्यान चित्त निर्मलता का महाअभियान है। इससे शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मक रोगों का निवारण तो होता ही है, आत्म-अवलोकन का यह दर्पण है, स्वयं की बुराइयों को दूर करने की औषधि है। कायोत्सर्ग, श्वास प्रेक्षा, शरीर प्रेक्षा, लेश्याध्यान और अनुप्रेक्षा के द्वारा आत्मशोधन के साथ-साथ सारे तनावों को दूर किया जा सकता है।
इस अवसर पर साध्वी कुंदनरेखा जी के द्वारा ध्यान के प्रयोग करवाए गए। पंकज ने आसान-यौगिक क्रियाओं एवं प्राणायाम के सघन प्रयोग करवाए। प्रेक्षा ने नमस्कार महामंत्र के प्रयोग एवं कायोत्सर्ग एवं दीर्घश्वास प्रेक्षा के विभिन्न प्रयोगों द्वारा लोगों को अभिभूत कर दिया। इस अवसर पर साध्वी सौभाग्ययशा जी आदि साध्वियाँ उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वीश्री जी द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के द्वारा किया गया। रोहिणी सभा के अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि साध्वीश्री जी की प्रेरणा एवं पुरुषार्थ हमें आगे बढ़ा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने प्रशिक्षिकाओं का सम्मान किया तथा के0सी0 जैन के प्रति आभार प्रदर्शित किया। रतनलाल जैन ने कहा कि ऐसा अनुभव हो रहा है कि अमृत की वर्षा हो रही है।