भक्तांमर स्तोत्र अनुष्ठान
रोहिणी, दिल्ली।
तेरापंथ भवन में साध्वी डॉ0 कुंदनरेखा जी के सान्निध्य में भक्तांमर स्तोत्र अनुष्ठान रखा गया। साध्वी डॉ0 कुंदनरेखा जी ने इस अवसर पर कहा कि प्रत्येक अक्षर मंत्र है। उनकी सही संरचना से बिगड़े काम सँवारे जा सकते हैं। भूत-प्रेत आदि उपद्रवों को शांत किया जा सकता है। रोगों का निवारण किया जा सकता है। फिर चाहे भक्तांमर स्तोत्र हो या उपसग्गहर स्तोत्र। भक्तांमर अनुष्ठान का लक्ष्य भी आत्मोत्थान का है, भगवान ऋषभ की स्तुति का है। इस अनुष्ठान से संसार की असारता का अहसास हो, कषाय उपशमन के भाव जगें, राग-द्वेष जैसे विभाओं की बेड़ियाँ ध्वस्त हो और परमानंद की प्राप्ति हो, अपेक्षित है।
साध्वीवृंद द्वारा भक्तांमर स्तोत्र का उच्चारण किया गया। सैकड़ों भाई-बहनों ने इस अनुष्ठान में भाग लेकर परमानंद की अनुभूति की। डॉ0 मंजु जैन का कहना है कि इस स्तोत्र के संगान से कैंसर, किडनी, त्वचा के अनेक रोगों को भी ठीक किया जा सकता है। साध्वी सौभाग्ययशा जी ने कहा कि भगवान आदिनाथ की यह स्तुति अचिंत्य है। जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकर परंपरा में भगवान ऋषभ प्रथम हैं। तीर्थंकरों की स्तुति तीर्थंकर बनकर अर्थात् पूर्ण एकाग्रता, पूर्ण भावधारा को जोड़कर की जाए तब ही मनोवांछित प्राप्त किया जा सकता है। कार्यक्रम का प्रारंभ विजयगीत से युवक परिषद के सदस्यों द्वारा किया गया। तेयुप अध्यक्ष विकास सुराणा ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम में 108 जोड़ों सहित विभिन्न सभा-संस्थाओं के पदाधिकारीगण आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन तेयुप के संयोजक शुभम जैन ने किया।