आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के आयोजन
कांटाबाजी
मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में 220वाँ आचार्यश्री भिक्षु चरमोत्सव मनाया गया। मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु महान सत्य शोधक आचार्य थे। शुद्ध साधुत्व का पालन करना और जनता को भी धर्म का शुद्ध स्वरूप बतलाना उनका मुख्य ध्येय था। उन्होंने 260 वर्ष पूर्व जो धर्मक्रांति की थी उसके फलस्वरूप उन्हें भयंकर कष्टों का सामना करना पड़ा। तेरापंथ संघ का प्रवर्तन कर उन्होंने अनुशासन को सर्वाधिक महत्त्व दिया और मर्यादा, व्यवस्था, संगठन का निर्माण किया। आचरण और अनुशासन की नींव से तेरापंथ को खड़ा किया। भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांत को आत्मसात किया और उन्हें परिभाषित कर साधना का मार्ग प्रशस्त किया।
मीडिया प्रभारी अविनाश जैन ने बताया कि तेरापंथ सभा मंत्री सुमित जैन, तेयुप अध्यक्ष अंकित जैन, तेममं मंत्री सपना युवराज जैन, महासभा आंचलिक प्रभारी छत्रपाल जैन, महासभा प्रभारी केशब नारायण जैन ने विचारों की प्रस्तुति दी। धम्म जागरण में सामूहिक गीतों का संगान किया गया। सिंधिकेला, बगुमुंडा के श्रावक समाज सहयोगी बने।