भक्तांमर अनुष्ठान का आध्यात्मिक आयोजन

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भक्तांमर अनुष्ठान का आध्यात्मिक आयोजन

माणसा।
साध्वी सोमयशा जी के सान्निध्य में भक्तामर अनुष्ठान का आध्यात्मिक आयोजन किया गया। साध्वीवृंद ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को भक्तामर स्तोत्रम् का सामूहिक अनुष्ठान करवाया। तत्पश्चात साध्वीश्री जी ने प्रेरणा पाथेय देते हुए सभी को भक्तामर की रचना का इतिहास एवं भक्तामर का महत्त्व बतलाया। साध्वीश्री जी ने कहा कि भक्तामर स्तोत्रम् जैन धर्म के दिगंबर-श्वेतांबर सभी संप्रदायों में मान्य है, केवल श्लोकों की संख्या कहीं 48 तो कहीं 44 मानी जाती है। तेरापंथ धर्मसंघ में 44 श्लोक मान्य हैं। भक्तामर का कौन सा श्लोक किस प्रकार लाभदायक है इसका साध्वीश्री ने वर्णन किया एवं उसके अनुष्ठान की विधि बताई।
साध्वीश्री जी ने कहा कि कैंसर आदि भयंकर से भयंकर रोक का उपचार भी भक्तामर से संभव है। ‘भक्तामर हिलींग’ पर तो पीएच0डी0 भी की गई है एवं कई पुस्तकें भी लिखी गई हैं। विजापुर से समागत सहयोगी हितेश खमेशरा द्वारा साध्वीश्री को ‘उवासगदसाओ’ आगम भेंट कर विजापुर एवं माणसा में ‘आगम-मंथन प्रतियोगिता’ का आगाज किया गया। कार्यक्रम में माणसा एवं विजापुर आदि निकटवर्ती क्षेत्रों के श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही।