ज्ञानशाला प्रशिक्षक रिफ्रेशर कोर्स कार्यशाला
साहूकारपेट, चेन्नई।
तेरापंथ सभा के आयोजकत्व में ‘ज्ञानशाला स्नातक प्रशिक्षक रिफ्रेशर कोर्स’ एक दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत प्रशिक्षिकाओं के मंगल संगान से हुई। इस अवसर साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि आगम निरयुक्ति साहित्य आदि के अवगाहन से एक सत्य वाक्य प्रेरणा बनकर निष्पंदित होकर निकलता है, वह है शाश्वत प्रकाश प्रदान करने वाला एकमात्र ‘ज्ञान’। यह भीतर का अलौकिक ज्ञान विवेक चेतना जागृत करने वाला होता है। आध्यात्मिक ज्ञान सही पथ दिखलाता है।
ज्ञानशाला इस भौतिकता की पांख को नियंत्रित करने के लिए संयम की आँख प्रदान करती है। ज्ञानशाला से विवेक की आँख प्राप्त होती है। सफलता के तीन महत्त्वपूर्ण सूत्र हैंµश्रद्धा, समर्पण और पराक्रम। विश्वास का प्रादुर्भाव व्यक्ति को लक्षित मंजिल हासिल कराता है। हर प्रशिक्षक आत्मविश्वास के साथ स्वयं प्रशिक्षित बनें और ज्ञानशालार्थियों के ज्ञान विकास के प्रति भी पराक्रम होना चाहिए। समय-समय पर सभा, प्रशिक्षक, अभिभावक, व्यवस्थापक बच्चों को प्रोत्साहित भी करें। ज्ञानशाला संस्कारों की एक सुंदर फुलवारी है। जिसे जागरूकता के साथ फलवान बनाए रखने का प्रयास हो।
ज्ञानशाला आंचलिक संयोजिका अनिता चोपड़ा ने कहा कि ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका होने का हमें सात्त्विक गौरव है। सही सिंचन और सही वक्त का ज्ञानशाला के लिए नियोजित हमारा परम कर्तव्य है। साध्वी शौर्यप्रभा जी ने कहा कि प्रशिक्षिकाएँ छोटे-छोटे टिप्स के द्वारा बच्चों में ज्ञान का संवर्धन करें।
सात सत्रों में विभाजित कार्यशाला में लगभग 25 ज्ञानशाला की 70 प्रशिक्षिकाओं ने भाग लिया। साध्वी डॉ0 राजुलप्रभा जी ने सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास, साध्वी डॉ0 चैतन्यप्रभा जी ने तत्त्वदर्शन, साध्वी डॉ0 शौर्यप्रभा जी ने जीवन-विज्ञान, गेम्स, प्रोजेक्ट आदि का प्रशिक्षण दिया। टीपीएफ के अध्यक्ष राकेश खटेड़ ने टेक्नोलोजिकल प्रशिक्षण दिया। स्नातक रेफ्रेशर कोर्स कार्यशाला में साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी द्वारा तेरापंथ दर्शन का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर समस्त प्रशिक्षिकाओं ने आत्मिक आह्लाद की अनुभूति की। कार्यशाला कार्यक्रम का संचालन ज्ञानशाला प्रभारी सुरेश तातेड़ ने किया।