ज्ञान ज्योति कार्यशाला का आयोजन

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ज्ञान ज्योति कार्यशाला का आयोजन

साहूकारपेट, चेन्नई।
तेरापंथ भवन में साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी की प्रेरणा से जैन विश्व भारती संस्था से जैन दर्शन, जीवन-विज्ञान आदि में एम0ए0 करने वाले एवं तत्त्वविज्ञ, तेरापंथ तत्त्व प्रचेता, जैन विद्याविज्ञ आदि शिक्षा प्राप्त भाई-बहनों के लिए ज्ञान ज्योति कार्यशाला का आयोजन किया गया। ‘पीएँ ज्ञान का रस, जीवन बने सरस’ विषय पर साध्वीश्री जी ने कहा कि वर्तमान ज्ञान संपदा के आदि स्तोत्र भगवान महावीर हैं। उनकी सर्वज्ञता के आलोक में सारा ज्ञान दृष्टिगम्य बनकर हमारे पास पहुँचा। उसके बाद गणधरों एवं आचार्यों ने ज्ञान राशि को अक्षुण्ण बनाए रखा। जैन परंपरा में सबसे बड़ी राशि चौदह पूर्वों में निहित है। ज्ञान की साधना आनंद प्राप्त कराती है। ज्ञान के क्षेत्र में तेरापंथ संघ ने सर्वोच्च विकास किया है।
साध्वीश्री जी ने कहा कि चेन्नई के ज्ञान पिपासु भाई-बहन जैन विद्वान बनने की दिशा में आगे बढ़े। साध्वी सुदर्शनप्रभा जी, साध्वी सिद्धियशा जी, साध्वी राजुलप्रभा जी, साध्वी चैतन्यप्रभा जी एवं साध्वी शौर्यप्रभा जी ने ‘ज्ञान की ज्योत जलाएँ हम’ गीत का संगान किया। तेरापंथ सभाध्यक्ष उगमराज सांड एवं मंत्री अशोक खतंग ने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में साध्वी डॉ0 राजुलप्रभा जी ने ‘अंतर सांस्कृतिक शोध’ विषय को प्रतिपादित किया। साध्वी डॉ0 चैतन्यप्रभा जी ने कर्मवाद एवं साध्वी डॉ0 शौर्यप्रभा जी ने स्थायी ज्ञान के टिप्स बताए।
अभातेममं की अध्यक्षा नीलम सेठिया ने कहा कि जिन्होंने भी अपने विषयों में दक्षता हासिल की है, वे अपने शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़कर जैन विद्यानों की पंक्ति में आने का प्रयास करें। कार्यक्रम का संचालन ‘ज्ञान ज्योति कार्यशाला’ के संयोजक महेंद्र सेठिया ने किया। कार्यक्रम में चेन्नई से अभातेममं कार्यकारिणी सदस्या दीपा पारख, चेन्नई तेममं उपाध्यक्षा गुणवंती खांटेड़, तेरापंथ सभा सहमंत्री देवीलाल हिरण, मनोज गादिया, उपासक पदम आंचलिया की उपस्थिति रही।