संगठन का अनिवार्य पहलु है-अनुशासन
सिकंदराबाद
साध्वी मधुस्मिता जी ने कहा कि आचार्यश्री भिक्षु सत्य के महान खोजी थे। सत्य की खोज के लिए ही उन्होंने बार-बार आगमों का स्वाध्याय किया। वे शास्त्रों में निहित सच्चाई को जीवन में देखना चाहते थे। उस सत्य का दर्शन होने पर उन्होंने धर्म क्रांति की। मुसीबतों को आमंत्रित करना उनका लक्ष्य नहीं था। किंतु सत्य की खोज करते समय उपस्थित मुसीबतों को गले लगाने में भी उनको संकोच नहीं था। वे एकमात्र सत्य के प्रति समर्पित थे।
आचार्य भिक्षु ने अनुशासन को संगठन का अनिवार्य पहलु बताया। उन्होंने कहा आत्मशुद्धि के लिए अनुशासन जितना जरूरी है, संगठन की दृढ़ता के लिए भी उसका उतना ही मूल्य है।
कार्यक्रम की शुरुआत तेरापंथ महिला मंडल, बोइनपल्ली के मंगलाचरण से की गई। विनोद बैद टीपीएफ के सहमंत्री वीरेंद्र घोषल एवं साध्वी भावयशा जी ने विचार अभिव्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन साध्वी स्वस्थप्रभा जी ने किया। सतीश दुगड़ ने आभार ज्ञापन करते हुए साध्वीश्री के प्रति प्रमोद भावना प्रकट की।