क्या खाना और कितना खाना-भोजन में रखें विवेक: आचार्यश्री महाश्रमण
अक्षय तृतीया-2023 के बैनर व लोगो का अनावरण
ताल छापर, 1 नवंबर, 2022
महामनस्वी परमपूज्य आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि भगवती सूत्र में प्रश्न उठाया गया है कि वनस्पतिकायिक जीव किस समय सबसे अल्प आहार करते हैं और किस समय अधिक आहार करते हैं? वनस्पति को मनुष्य भी भोजन के रूप में प्रयोग करते हैं। शाकाहारी मनुष्य इसका बहुत ज्यादा उपयोग करता है। प्रश्न उठता है, मांसाहार में जीव हिंसा है तो शाकाहार में जीव हिंसा नहीं होती है? वनस्पतिकाय का भोजन में जीव हिंसा को नकारा जाना तो कठिन है। दोनों प्रकार में हिंसा तो है।
शाकाहारी आदमी केवल शाकाहार से काम चला सकता है। जो मांसाहारी है वे शाकाहार और मांसाहार दोनों का उपयोग करते हैं। वनस्पतिकाय में तो जीव अपने आप खत्म हो सकते हैं। पर मांसाहार में तो जानबूझकर जीवों को मारा जाता है। एकेंद्रिय और पंचेंद्रिय का तारतम्य भी होता है। हमारे भाव शाकाहार में लगभग भावात्मक सात्त्विकता और मांसाहार से भावात्मक तामसिकता आ सकती है। बाकी अपना-अपना चिंतन है। जैन धर्म में तो शाकाहार को ही स्वीकार किया गया है। गृहस्थ चाहे होस्टल में हो, होटल में हो या हॉस्पिटल में वे मांसाहार से बचने का प्रयास रखें। दवाई में भी मांसाहार से बचाव रहे। अहिंसा की अवधारणा में हम शाकाहार को लेकर चलते हैं। भावात्मक शुद्धता की बात हो सकती है।
वनस्पति में भी हम ध्यान दें कि एक तो अनंतकायिक और एक बिना अनंतकायिक होते हैं। जमीकंद में थोड़ी-सी वनस्पति में अनंत जीव हिंसा हो सकती है, इसका परिवर्जन रखने का प्रयास करें। इनका त्याग करने से अव्रत भी रुक जाती है और हिंसा से भी बचा जा सकता है। उपरोक्त प्रश्न उत्तर दिया गया कि प्राभृत और वर्षा ऋतु इनमें जीव सबसे ज्यादा आहार करते हैं। रात्रियों के अनुसार व सूर्य के संक्रमण से छः ऋतुएँ होती हैं। अलग-अलग महीनों के आधार पर ये छः ऋतुएँ हो जाती हैं। शरद ऋतु में प्राभृत और वर्षा ऋतु से थोड़ा कम आहार, हेमंत में उससे अल्प वसंत ऋतु में उससे कम आहार लेते हैं। ग्रीष्म ऋतु में सबसे कम आहार लेते हैं।
जीवन चलाने के लिए आहार की अपेक्षा रहती है। साधु को साधना करनी है। साधना करने के लिए शरीर को टिकाना है। शरीर को टिकाने के लिए आहार चाहिए। आहार करने से शरीर का काम चलता रहता है। साधु के आहार का भी संयम होता है। साधु का छठा व्रत है-रात्रि भोजन विरमण व्रत। गृहस्थ भी विवेक से आहार का संयम रखें। कितना खाना और क्या खाना? खाकर खराब नहीं होना चाहिए। भोजन में विवेक रखना बड़ी बात है। शासनश्री साध्वी चांदकुमारी जी रतननगर के संयम पर्याय के 80वें वर्ष के उपलक्ष्य में पूज्यप्रवर ने फरमाया कि संयम की प्राप्ति जिस समय होती है, वह एक विलक्षण समय होता है। साध्वी चांदकुमारी जी आज संयम पर्याय के 81वें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। वर्तमान में गुरुकुलवास में सबसे ज्यादा संयम पर्याय में आप बड़ी हैं। आपके चित्त में खूब समाधि रहे। स्वाध्याय-ध्यान में समय बीते। परिणामों की निर्मलता बनी रहे। आपका स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहे। खूब-खूब मंगलकामना है। पूज्यप्रवर ने संदेश का भी वाचन करके साध्वीश्री को प्रदान करवाया।
मुख्य मुनि महावीर कुमार जी ने कहा कि साध्वी चांदकुमारी जी ने चार परम दुर्लभ बातों को प्राप्त किया है। अणगार धर्म की प्राप्ति जीवन की अनमोल धरोहर है। ये बहुत हल्के हैं। ऊनोदरी की साधना करती है। गुरुदेव इन पर वात्सल्य की अमृत वर्षा करवाते हैं। लंबा संयम पर्याय प्राप्त करना भी जीवन की उपलब्धि है। आप अपना संयम पर्याय और निर्मल बनाते रहें, यही मंगलकामना है।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि साध्वी चांदकुमारी जी ने अल्प आयु में ही गुरुदेव तुलसी से संयम प्राप्त कर लिया था। इनकी कंठ कला मधुर है। इनका आना लोगों को आकर्षित करता था। आचार्यप्रवर की भी इन पर कृपादृष्टि है। इनके साथ में साध्वी कानकुमारी जी और साध्वी मानकुमारी जी का भी 81वें संयम वर्ष का वर्धापन कर रही हूँ। इनका संयम जीवन अध्यात्म में ओत-प्रोत बने। समाधि लीन रहे और हर क्षण आनंद का अनुभव करती रहें।
साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि गुरु की कृपा जिस शिष्य पर बरसती है, वह शिष्य धन्यता का अनुभव करता है। हमें नंदनवन सा भैक्षव शासन प्राप्त हुआ है। विलक्षण गुरु परंपरा प्राप्त हुई है। साध्वी चांदकुमारी जी को इतनी गुरु कृपा प्राप्त हुई है, यह आपके सौभाग्य की बात है। छोटे जीवन में गुरु चरणों में आना बड़ी बात होती है। पूज्यप्रवर ने भी दो-दो चातुर्मास में आपको साथ रखा है। आपको चित्त समाधि पहुँचाते हैं, सेवा कराते हैं।
साध्वीवृंद ने गीत से उन्हें बधाई दी। साध्वी चांदकुमारी जी ने पूज्यप्रवर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। साध्वी केवलयशा जी ने साध्वीश्री के बारे में उनकी भावना को अभिव्यक्त किया। पारिवारिकजनों ने पूज्यप्रवर के दर्शन किए।
जैन विश्व भारती के मंत्री सलिल लोढ़ा ने कहा कि जैविभा ने चार दशकों में प्रगति की है। आज एमजी फाउंडेशन कोलकाता द्वारा गंगादेवी सरावगी जैन विद्या पुरस्कार व महादेवलाल सरावगी जैन आगम मनीषा पुरस्कार-2021 प्रदान किया जा रहा है। आगम मनीषा पुरस्कार-2021 मुंबई की रंजना गोठी एवं गंगादेवी सरावगी जैन विद्या पुरस्कार डॉ0 वीरबाला छाजेड़ व सेखानी परिवार द्वारा प्रदत्त जैन सेवा पुरस्कार मूलचंद नाहर को प्रदान किया गया। रंजना गोठी व वीरबाला छाजेड़ ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाया। अक्षय तृतीया-2023 के अक्षय तृतीया के बैनर व लोगों का अनावरण हुआ। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।