अवबोध
ु मंत्री मुनि सुमेरमल ‘लाडनूं’ ु
(2) दर्शन (सम्यक्त्व) मार्ग
प्रश्न-8 : एक भव (जीवन) में सम्यक्त्व कितनी बार आ सकती है?
उत्तर : औपशमिक व सास्वादन एक भव में जघन्य एक बार व उत्कृष्ट पाँच बार आ सकती है। वेदक जघन्य-उत्कृष्ट एक बार, क्षयोपशम जघन्य एक बार, उत्कृष्ट प्रत्येक हजार बार (दो हजार से नौ हजार तक) आ सकती है। क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त होने के बाद जाती नहीं है।
प्रश्न-9 : क्या सम्यक्त्व चारों गतियों में प्राप्त हो सकती है?
उत्तर : चारों ही गतियों में जीव औपशमिक, क्षायोपशमिक व सास्वादन सम्यक्त्व को प्राप्त कर सकता है। क्षायिक व वेदक सम्यक्त्व मात्र मनुष्य गति में ही प्राप्त होती है।