‘धर्मसंघ के प्रति हमारा दायित्व’ कार्यशाला

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‘धर्मसंघ के प्रति हमारा दायित्व’ कार्यशाला

साहूकारपेट, चेन्नई।
तेरापंथ भवन में साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में ‘धर्मसंघ के प्रति हमारा दायित्व’ कार्यशाला का आयोजन किया गया। साध्वीश्री जी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ मर्यादित, अनुशासित और एक आचार्य की आज्ञा निष्ठा के प्रति सजग संगठन है। तेरापंथ के हर आचार्य ने समय-समय पर संघ को संवर्धित किया, संपोषित किया। हमने आत्म-साधना के लिए संघ की शरण ली है। संघ के प्रति हमारा पहला दायित्व हैµहम आत्म-साधना के प्रति पूर्ण समर्पित रहें। हमारा विश्वास आध्यात्मिकता में होना चाहिए।
तेरापंथ धर्मसंघ में साधु-साध्वियों के संगठन की तरह श्रावक समाज का भी बड़ा संगठन है। सभा, संस्थाओं के द्वारा की गई संगठन यात्राएँ संघ प्रभावक होती हैं। अपनी भावी पीढ़ी में भी संघीय संस्कारों का बीज वपन करना श्रावक समाज का परम दायित्व है। हम सौभाग्यशाली हैं, जिन्हें एक सुगुरु का विकासमय नेतृत्व मिला। पवित्र आभामंडल युक्त परमपूज्य आचार्यश्री महाश्रमण जी के पवित्र सन्निधि और संरक्षण में हमें अपनी साधना कर रहे हैं।
तेरापंथ सभा, चेन्नई अध्यक्ष उगमराज सांड ने स्वागत-स्वर प्रस्तुत किए। ट्रस्ट बोर्ड साहूकारपेट के अध्यक्ष विमल चिप्पड़ ने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ महासभा के उपाध्यक्ष नरेंद्र नखत ने कहा कि संघ आत्मशोधन का पावन स्थान है, हमारा परम दायित्व है हम संघ की प्रभावना में योगभूत बनें। साध्वीवृंद ने गीत का सामूहिक संगान किया। तमिलनाडू संगठन यात्रा के दौरान चेन्नई समागत संस्था शिरोमणी तेरापंथ महासभा के अध्यक्ष मनसुख सेठिया ने कहा कि संघ से हमारा अस्तित्व जुड़ा हुआ है। संघ की मर्यादा, व्यवस्था और अनुशासन हमारा प्राण है। गुरु की दृष्टि ही हमारा परम आधार है। तेरापंथ महासभा सदस्य एवं प्रभारी देवराज आच्छा ने आभार ज्ञापन किया। तेरापंथ सभा की ओर से समागत महानुभावों का सम्मान किया गया। महासभा अध्यक्ष मनसुख सेठिया ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया।