मोबाइल कितना उपयोगी और कितना अनुपयोगी कार्यशाला

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मोबाइल कितना उपयोगी और कितना अनुपयोगी कार्यशाला

चंडीगढ़।
अगर आपने व्यवहार पर ध्यान नहीं दिया तो यह भी हो सकता है कि आप जीवन-भर ठगे जाएँ। एक छोटा आदमी भी आपका अपमान कर सकता है या फिर आपको उचित मान नहीं देगा, अगर आपकी यह धारणा है कि सब चलता है तो फिर आपने अपनी बुद्धि से नहीं सोचा, आपका कोई विचार स्तर नहीं है, जब अपना कोई विचार ही नहीं है तो विकास कैसे होगा, सब चलता है। इस सोच वाले कभी इधर-कभी उधर होते रहते हैं। अच्छा हो इसके लिए एक अच्छा रास्ता, सफलता का रास्ता चुनना होगा। ये शब्द मनीषी संतु मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने अणुव्रत भवन में व्यक्त किए। मुनिश्री ने आगे कहा कि हम और अधिक सीखते जाते हैं, हमारे अनुभव बढ़ते हैं। ईश्वर हमें रोज मौका देता है। जीवन को उन्नत करने का बस यह हमारी बुद्धि पर निर्भर करता है कि हम क्या चुनते हैं और कितना लाभ ले पाते हैं।